पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात भारतीय किसानों के लिए हानिकारक
मिशन सच न्यूज़, नई दिल्ली।
सर्वोच्च न्यायालय ने आज किसान महापंचायत द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर भारत संघ को नोटिस जारी किया है। यह याचिका किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के माध्यम से दायर की गई है, जिसमें पीली मटर के अत्यधिक शुल्क मुक्त आयात पर रोक लगाने की मांग की गई है। पीठ (न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जय भुयान और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह) ने मामले को सुनते हुए सरकार से जवाब मांगा।
किसानों के लिए नुकसानदायक आयात
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पीली मटर, जो अरहर और चने जैसी दालों का विकल्प मानी जाती है, भारत में पारंपरिक दालों के एमएसपी से आधे दाम पर उपलब्ध है। आयातित पीली मटर की लागत लगभग ₹3500 प्रति क्विंटल है, जबकि भारतीय दालों का एमएसपी करीब ₹8000 प्रति क्विंटल है। इससे भारतीय किसान मजबूरन अपनी उपज सस्ते दामों पर बेचने को विवश हैं।
विशेषज्ञ निकायों की रिपोर्ट का हवाला
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और अधिवक्ता नेहा राठी पेश हुए। उन्होंने सरकार के अपने विशेषज्ञ निकायों—जैसे कृषि लागत एवं मूल्य आयोग और नीति आयोग—की रिपोर्टों का हवाला दिया। इन रिपोर्टों में स्पष्ट सिफारिश की गई है कि पीली मटर के आयात पर रोक लगाई जानी चाहिए, क्योंकि यह घरेलू बाजार को असंतुलित कर रहा है और किसानों को दाल उत्पादन से हतोत्साहित कर रहा है।
किसान महापंचायत की अपील
किसान महापंचायत का कहना है कि अनियंत्रित आयात से भारतीय किसानों की आय पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और सरकार को तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए।