जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय में पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की श्रीअन्न उत्कृष्टता केंद्र परियोजना के अंतर्गत आयोजित छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन
मिशन सच न्यूज़, जोधपुर। जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय में पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र परियोजना के अंतर्गत आयोजित “श्री अन्न को मुख्य धारा में लाने के लिए उन्नत कृषि पद्धतियां और मूल्य संवर्धन” विषयक छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शनिवार को हुआ।
शौक नहीं, नियमित उपयोग बने लक्ष्य
समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे निदेशक अनुसंधान डॉ. एम. एम. सुंदरिया ने कहा कि श्री अन्न से नई पीढ़ी को जोड़ना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज का उपयोग केवल शौक तक सीमित न रखकर घर-घर में इसका नियमित उपयोग होना चाहिए।
पारंपरिक भोजन की ओर लौटें
समारोह में मुख्य अतिथि, निदेशक छात्र कल्याण डॉ. सेवाराम कुमावत ने कहा कि पहले गांव-गांव में बाजरे का सोगरा और खिचड़ी जैसे व्यंजन नियमित भोजन का हिस्सा थे। इन पोषक खाद्य पदार्थों के कारण लोग कम बीमार पड़ते थे। उन्होंने कहा, आज हमें फिर से पारंपरिक भोजन की ओर लौटना होगा, तभी स्वास्थ्य संबंधी बड़ी चुनौतियों से निपटा जा सकेगा। इस दौरान क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान डॉ. एस. के. मूंड और डीन, कृषि महाविद्यालय, जोधपुर डॉ. जे. आर. वर्मा ने भी अपने विचार रखे।
पास्ता, बिस्किट और कुकीज का प्रशिक्षण
कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मिथिलेश कुमार ने बताया कि मोटे अनाज को मुख्यधारा में लाने के लिए इसका मूल्य संवर्धन अत्यंत आवश्यक है। छह दिवसीय प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को मोटे अनाज से पास्ता, कुरकुरे, बिस्किट, चॉकलेट और केक जैसे उत्पाद बनाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने बताया कि इसके अलावा मोटे अनाज की उन्नत किस्में, पोषण संबंधी लाभ, कीट एवं खरपतवार प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य, विपणन और प्रसंस्करण से जुड़ी जानकारी भी साझा की गई।
किसानों ने जताया उत्साह
प्रशिक्षण में शामिल किसानों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि खेती के अलावा बचे हुए समय में मोटे अनाज से मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाकर आय में इजाफा किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि घर पर बने कुरकुरे और स्नैक्स से बच्चों को भी सेहत का लाभ मिलेगा। किसानों ने इस प्रशिक्षण को बेहद कारगर और उपयोगी बताया।
प्रमाण पत्र वितरण से खिले चेहरे
समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। साथ ही कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मिथिलेश कुमार और सहयोगी डॉ. ललिता लाखरान, डॉ. नम्रता और डॉ. रामेति जांगिड़ को भी सम्मानित किया गया।
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