“पानी का रंग: खत्म होता एक प्राकृतिक संसाधन और बढ़ती असमानता”

Launch of the book 'Heroes of the Backstage'
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अनिल चौधरी स्मृति व्याख्यान में बोले पी. साईनाथ

नई दिल्ली।
देश के वरिष्ठ पत्रकार और ग्रामीण भारत के विशेषज्ञ पी. साईनाथ ने कहा है कि जल संकट केवल संसाधन की कमी नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक असमानता का प्रतिबिंब है। वे दिल्ली स्थित हरकिशन सिंह सुरजीत भवन में आयोजित अनिल चौधरी स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे। उनका व्याख्यान का विषय था: “पानी का रंग : खत्म होता एक प्राकृतिक संसाधन और बढ़ती असमानता”

व्याख्यान के प्रमुख बिंदु:

  • पी. साईनाथ ने कहा कि “गांव का पानी शहरों में, गरीबों का पानी अमीरों को और सिंचाई का पानी उद्योगों को दिया जा रहा है।”

  • उन्होंने बताया कि देश की गरीब महिलाएं पीने के पानी के लिए सबसे अधिक मेहनत करती हैं।

  • टैंकर और बोरवेल माफिया का देशभर में बोलबाला है। कोयंबटूर को “पंप सिटी ऑफ इंडिया” कहा जाता है, जहां 20,000 ड्रिलिंग मशीनें रोज 1000 फीट की खुदाई करती हैं।

  • हैदराबाद, पुणे, दिल्ली, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे शहरों में ड्रिलिंग उपकरणों का निर्माण और बिक्री होती है, जिससे भूजल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है।

  • असमानता पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि 1991 में देश में केवल 4 अरबपति थे, जो कोविड के बाद 211 हो गए हैं और इनके पास देश की 26% सकल घरेलू आय केंद्रित है।

  • दूसरी ओर मनरेगा मजदूर की मजदूरी 289 रुपये है, जबकि अंबानी की एक माह की कंपनी सैलरी 15 करोड़ रुपये है। इसे पाने में एक मजदूर को 5,000 साल लगेंगे।

अन्य वक्ताओं के विचार

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुनीलम ने किया। उन्होंने कहा कि अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर हो सकता है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के मुलताई क्षेत्र में 500 से अधिक बोरवेल 1000 फीट से अधिक खुदे हैं, जिनमें से अधिकांश सूखे हैं।

देश में सिर्फ 25% गांव ही नल-जल योजना से जुड़े हैं, और जलजनित बीमारियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

किताब विमोचन और फैलोशिप की घोषणा

इस अवसर पर “नेपथ्य का नायक” नामक पुस्तिका का विमोचन पी. साईनाथ, रंजना सक्सेना, ऋचा सिंह, प्रो. अचिन विनायक, आंचल कपूर, बालाजी पांडे, श्वेता और जितेंद्र चहार द्वारा किया गया।
साथ ही, अनिल चौधरी स्मृति रिसर्च फैलोशिप की भी घोषणा की गई।

सीखने के विकल्पों पर सत्र

व्याख्यान से पहले सीखने-सिखाने के तरीकों और विकल्पों पर दो सत्र आयोजित किए गए।

  • पहले सत्र की अध्यक्षता आंचल कपूर ने की, जिसमें कल्याणी मेनन सेन, शिवानी नाग, अमित और ऋचा पांडेय ने विचार रखे।

  • “विकल्पों का सवाल” विषय पर दिनेश अब्रॉल, जया मेहता, विनीत तिवारी, ऋचा सिंह, कल्याण आनंद, केसकली ने अपने विचार साझा किए।

  • अशोक चौधरी ने सत्र का संचालन किया और अभिषेक श्रीवास्तव ने भूमिका प्रस्तुत की।

समापन सत्र का संचालन डॉ. सुनीलम ने किया और प्रो. अचिन विनायक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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