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    भरतपुर के राजा ने बसाया था कृष्णगढ़, अब भरतपुर निवासी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कर रहे हैं नया नामकरण

    किशनगढ़ बास की ऐतिहासिक विरासत और नए जिले के नामकरण पर सियासी संग्राम
    मुकेश सोनी, मिशनसच न्यूज , किशनगढ़ बास। आज़ादी से पहले भरतपुर के महाराजा जोरावर सिंह ने यहां भरतपुर की तर्ज पर भव्य किले का निर्माण कराया और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में इस स्थान को कृष्णगढ़ नाम दिया। किले के पास ही श्री बांके बिहारी मंदिर का निर्माण भी कराया गया, जो आज भी आस्था का प्रमुख केंद्र है। समय के साथ कृष्णगढ़ का नाम बदलकर किशनगढ़ बास हो गया।
    अब इतिहास का यह संयोग देखिए—राजस्थान के मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, जो स्वयं भरतपुर जिले से हैं, उन्होंने हाल ही में खैरथल-तिजारा जिले का नाम भतृहरि नगर रखने की घोषणा की है। यह वही खैरथल है, जो किशनगढ़ बास से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
    भतृहरि नगर नाम पर सियासी खींचतान
    भतृहरि महाराज उज्जैन के राजा रहे और अलवर की तपोस्थली भतृहरि हरी धाम में उनका गहरा संबंध रहा है। स्थानीय लोगों के बीच यह स्थान गहन आस्था का प्रतीक है।
    हालांकि, खैरथल के विधायक दीपचंद खेरिया और कांग्रेस इस नामकरण का विरोध कर रहे हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि खैरथल में भूमाफिया सक्रिय हैं, जिन्होंने जिले के गठन के बाद भारी जमीन सौदे किए थे। आशंका है कि अगर जिला मुख्यालय भिवाड़ी हो गया तो जमीनों की कीमत में भारी गिरावट आ सकती है, जिससे करोड़ों रुपये डूब जाएंगे।
    किशनगढ़ बास का समर्थन
    इसके विपरीत, किशनगढ़ बास के लोग भतृहरि नगर नाम का स्वागत कर रहे हैं। उनका मानना है कि जैसे उनका कस्बा पहले कृष्णगढ़ नाम से आस्था का केंद्र रहा है, वैसे ही भतृहरि महाराज का नाम भी धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सम्मानजनक है।
    किले की अनूठी तकनीक
    कृषि पंडित अवार्ड और पद्मश्री सम्मान प्राप्त साहित्यकार, कवि एवं किशनगढ़ बास निवासी सूर्यदेवसिंह बारेठ बताते हैं कि जब भरतपुर के राजा जोरावर सिंह दिल्ली से युद्ध जीतकर लौटे, तो उन्होंने भरतपुर की तकनीक पर यह किला बनवाया। किले के चारों ओर गहरी खाई बनाई गई, जिसमें हमेशा पानी भरा रहता था। इसके अलावा ऊंची-ऊंची मिट्टी की दीवारें खड़ी की गईं।
    इस अनूठी तकनीक के पीछे उद्देश्य था—यदि दुश्मन तोप का मुंह ऊपर करके हमला करे तो गोला किले के ऊपर से निकल जाए, और नीचे करके चलाए तो मिट्टी की दीवार से टकराकर निष्प्रभावी हो जाए।
    बारेठ एक रोचक किस्सा भी सुनाते हैं—राजा जोरावर सिंह ने कहा था, “किले तो बनवाओ, पर इनके पहिए मत लगवाओ, वरना भरतपुर ले जाएंगे!”

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