अलवर. सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों का बढ़ता बाघों का सरिस्का प्रशासन के लिए नई परेशानी खड़ी कर सकता है। वर्तमान में सरिसका में बाघों का कुनबा 48 तक पहुंच गया है। सरिस्का में करीब 12 शावक जल्द ही वयस्क हो कर खुद अपनी टेरिटरी बनाएंगे और वयस्क हुए बाघ टेरिटरी की तलाश में सरिस्का के जंगल से बाहर भी निकल सकते हैं। यही सरिस्का प्रशासन के लिए परेशानी बन सकती है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व के इतिहास में पहली बार बाघों का कुनबा बढ़कर 48 तक पहुंचा है। इसमें 11 नर बाघ, 18 बाघिन एवं 19 शावक हैं। इन शावकों में 12 को इस साल के अंत तक वयस्क होने पर अपनी पहचान भी मिल जाएगी। एक दर्जन शावकों को वयस्क होने और अपनी मां से अलग होने के कारण अपनी अलग से टेरिटरी तलाशनी होगी। ऐसे में नए बाघों का जंगल में पहले से जमे पुराने बाघों से संघर्ष संभव है। टेरिटोरियल फाइट के चलते नए बाघों के सरिस्का से बाहर निकलने की आशंका भी रहेगी। वहीं सरिस्का के सीसीएफ संग्राम सिंह कटियार ने बताया कि इस साल के अंत तक सरिस्का के 12 शावकों को अपनी पहचान मिलेगी। उन्होंने बताया कि सरिस्का में जो शावक अपनी मां से अलग होने लगे हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है।
वयस्क होने पर पता चलेगा शावकों में कितने नर बाघ
एनटीसीए की ओर से इस साल के अंत तक सरिस्का के 12 शावकों को यूनिक नेशनल टाइगर आईडी दिए जाने की संभावना है। शावकों को आईडी मिलने पर पता चल पाएगा कि इनमें कितने नर बाघ एवं कितनी मादा बाघिन हैं। इन नई बाघिनों को उन क्षेत्रों में छोड़ा जा सकेगा, जहां नर बाघ अकेले घूम रहे हैं। ऐसे क्षेत्रों में नई बाघिनों के स्थापित होने में ज्यादा समस्या नहीं होगी। कारण है कि बाघिनों को टेरिटरी के लिए छोटे जंगल की जरुरत होती है और वह वहां पहले से स्थापित बाघ से समन्वय कर आसानी से अपनी टेरिटरी बना सकेंगी। लेकिन समस्या नए नर बाघो को लेकर होने की आशंका है। नर बाघों को टेरिटरी के लिए बड़े जंगल की आवश्यकता होती है, ऐसे में नए नर बाघ की टेरिटरी की तलाश के दौरान पुराने स्थापित बाघों से संघर्ष होने की आशंका है। टेरिटोरियल संघर्ष के दौरान पुराने स्थापित बाघों की ओर से नए नर बाघों को अपनी टेरिटरी वाले जंगल से बाहर खदेड़ने की आशंका है। ऐसे में टेरिटरी के लिए नए नर बाघों के सरिस्का के जंगल से बाहर निकलने की आशंका रहेगी।
सीटीएच में मानवीय दखल ज्यादा
वन्यजीव प्रेमी लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि सरिस्का में मानवीय दखल तेजी से बढ़ा है। कागजों में सरिस्का का सीटीएच एरिया 881 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन मौके पर मानवीय दखल के चलते काफी कम हो चुका है। सीटीएच एरिया में मानवीय दखल बढ़ने से बाघों को टेरिटरी बनाने में परेशानी आती है। लेकिन सरिस्का की सदर रेंज में अभी कुछ बाघ रह सकते हैं। यहां अभी बाघिन एसटी— 9 और बाघ एसटी— 21 स्थापित हैं और पर्यटकों को खूब लुभा रहे हैं। इसके अलावा अलवर बपफर रेंज में बाघिन एसटी— 19 के चार शावक हैं, जो कि इस साल के अंत तक वयस्क होंगे। इनमें से एक— दो बाघ अलवर बफर में रह सकते हैं। अलवर वन मंडल का जिंदोली का जंगल अच्छा है और कुछ बाघ यहां भी रह सकते हैं। इसके अलावा अकबरपुर रेंज में भी कुछ बाघ रह सकते हैं। लेकिन नए बाघों के सरिस्का से बाहर निकलने की आशंका भी है। पहले भी कुछ नर बाघ सरिस्का से बाहर निकल चुके हैं।