अलवर. टाइगर रिजर्व सरिस्का में अभी तक बाघ, बघेरों और सांभर, चीतल आदि की गणना होती रही है, लेकिन सरिस्का में तितली प्रजातियों की मौजूदगी से वहां के जैविक स्वास्थ्य और संतुलन का अनुमान लगाने के लिए पहली बार दो दिवसीय मानसून सर्वे 19 जुलाई को शुरू हुआ। अभी कम लोगों को ही पता होगा कि सरिस्का तितलियों की विभिन्न प्रजातियों की समृदध विविधता वाला क्षेत्र भी है। तितलियों का यह पहला सर्वे सरिस्का के वन्य जीवन व पारिस्थितिक तंत्र की व्यापक समझ विकसित करने में मदद करेगा। सर्वे का यह डाटा आगामी वर्षों में जैव विविधता के संरक्षण का आधार बनेगा और शोधकर्ताओं के शोध कार्य में उपयोगी साबित होगा।
सरिस्का के सीसीएफ संग्रामसिंह कटियार ने बताया कि बाघ परियोजना सरिस्का में पहली बार तितलियों की प्रजातियों का रिकॉर्ड तैयार करने के लिए शनिवार से दो दिवसीय मानसून तितली सर्वेक्षण शुरू किया गया है। सर्वे के दौरान बीटवार वनकर्मी तितलियों की प्रजातियों का अवलोकन करेंगे। टांजेक्ट लाइन तकनीक से किए जाने वाले सर्वे वनकर्मी अपनी— अपनी बीटों में तितलियों की फोटोग्राफी कर हर प्रजाति की पहचान करेंगे। इसके आधार पर तितलियों का वैज्ञानिक रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बाघ परियोजना सरिस्का तितली प्रजातियों वाला क्षेत्र है। यहां विभिन्न प्रजातियों की तितलियां बहुतायत में पाई जाती है।
तितलियां वनों के पारिस्थितिकी संतुलन के लिए जरुरी
सीसीएफ कटियार ने बताया कि तितलियां केवल सुंदरता का प्रतीक ही नहीं होती, बल्कि वे पारिस्थितिक सतुलन का संवेदनशील सूचक भी होती हैं। तितलियों की उपस्थिति से उस वन क्षेत्र के जैविक स्वास्थ्य व संतुलन का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तितलियां वनों के पारिस्थितिकी संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। तितलियों की प्रजाति का पहला सर्वे सरिस्का की जैव विविधता का दस्तावेजीकरण करने के साथ आगामी समय में इसके संरक्षण व शोध कार्यों की दिशा भी तय करेगा। तितलियों का यह सर्वेक्षण सरिस्का के वन्य जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र की विस्तृत जानकारी हासिल करने में उपयोगी होगा। यह सर्वे भविष्य में तितलियों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण के प्रयास का आधार भी बन सकेगा।
अब तितलियां बढ़ाएंगी सरिस्का की ख्याति
देश विदेश में टाइगर रिजर्व सरिस्का की ख्याति अभी तक बाघ— बघेरों के चलते मिल पाई है। इसके चलते हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां बाघों को देखने के लिए आते हैं। लेकिन अब पर्यटक यहां विभिन्न प्रजातियों की तितलियों को भी देखने आ सकेंगे। इसके अलावा तितलियों के सर्वे की रिपोर्ट दस्तावेजीकृत होने के बाद बड़ी संख्या में शोधकर्ता अपना शोध करने भी आएंगे। इसके चलते सरिस्का बाघ परियोजना वन्यजीवों व तितलियों के शोध और संरक्षण की नई प्रयोगशाला के रूप में विकसित हो सकेगी।