सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार
कबूतरों को दाना खिलाने के प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई
नई दिल्ली/मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी और याचिकाकर्ता यदि आदेश में बदलाव चाहते हैं, तो हाईकोर्ट के पास ही जाएं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती है जो कबूतरखानों या सार्वजनिक स्थानों पर दाना खिलाने के प्रतिबंध का उल्लंघन करते हैं। कोर्ट ने यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य, संक्रमण की आशंका और ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा के मद्देनज़र उठाया था।
पृष्ठभूमि:
मार्च से जुलाई 2025 के बीच हाईकोर्ट ने मुंबई के विभिन्न कबूतरखानों में दाना खिलाने पर रोक लगाई थी। अदालत का मानना है कि कबूतरों की बीट से एलर्जी, अस्थमा और अन्य संक्रमण का खतरा बढ़ता है, साथ ही यह शहर की साफ-सफाई और धरोहर संरक्षण पर भी असर डालता है।
सामाजिक प्रतिक्रिया और विवाद:
इस आदेश का जैन और गुजराती समुदाय के एक वर्ग ने कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि कबूतरों को दाना खिलाना उनकी धार्मिक आस्था का हिस्सा है। जैन मुनि निलेश चंद्र विजय ने 13 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की चेतावनी दी है और कहा है कि यह कदम धर्म के खिलाफ है।
वहीं महाराष्ट्र के संरक्षक मंत्री मंगलप्रभात लोढा ने कहा कि दादर कबूतरखाना में हुआ विरोध “गलत” था और कानून हाथ में लेना उचित नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि बोरीवली नेशनल पार्क जैसे नियंत्रित स्थानों पर कबूतरों को दाना खिलाने की व्यवस्था की जा सकती है, ताकि आस्था और स्वास्थ्य — दोनों का संतुलन बना रहे।
अब आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुंबई में कबूतरखानों पर दाना खिलाने की रोक फिलहाल जारी रहेगी और BMC आदेश उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई कर सकेगी।