More

    100 गुना ज़्यादा खतरनाक! रिसर्च में खुलासा – ये घरेलू चीज़ बन रही कैंसर की वज

    खून, मांस, हड्डी या कोई भी अंग लाखों-करोड़ों सेल्स से बना होता है। लेकिन अब इसके अंदर एक ऐसी चीज भरती जा रही है, जो कैंसर पैदा कर सकती है। PLOS One पर छपी स्टडी ने बताया कि घर के अंदर बैठकर हम एक खतरनाक कंपाउंड को शरीर के भीतर डाल रहे हैं और इसके बारे में हमें जानकारी तक नहीं है।

    ​कैंसर कैसे होता है? यह तत्व कुछ और नहीं बल्कि माइक्रोप्लास्टिक है। हम दिनभर में इतनी प्लास्टिक ले रहे हैं, कि आप चौंक जाएंगे। यह शरीर के अंदर जाकर फेफड़े, आंत, आर्टरी को ब्लॉक कर देती है। जैसे कोई प्लास्टिक की चीज नाली-नालियों को बंद कर देते हैं। स्टडी के अंदर प्लास्टिक का जो लेवल निकला है, इतना आज से पहले हमें नहीं पता था। रिसर्चर्स ने इसे पहले 100 गुना ज्यादा बताया है।
      
    कैसे अंदर जा रही है प्लास्टिक?

    प्लास्टिक के कण इतने छोटे हो सकते हैं कि आंखों से दिखाई ना दें। जब आप प्लास्टिक की बोतल में पानी या पैकेट में खाना रखते हैं तो उसके माइक्रोप्लास्टिक पार्टिकल्स पदार्थ के साथ चिपक जाते हैं। जो खाने के साथ शरीर के अंदर चले जाते हैं। लेकिन यह स्टडी बता रही है कि हम खाने-पीने के अलावा सांस के साथ बहुत सारी प्लास्टिक ले रहे हैं।

    कैसे हुई स्टडी?

    फ्रांस की एक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपने अपार्टमेंट और कार के अंदर से इंडोर एयर के 16 सैंपल लिए। फिर इन्हें एक रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी नाम की तकनीक से अध्ययन किया गया। जो बताता है कि हवा में प्लास्टिक के कैसे और कितने कण घूम रहे हैं।

    फेफड़ों के डैमेज होने का खतरा

    स्टडी में अपार्टमेंट की हवा में 528 माइक्रोप्लास्टिक प्रति क्यूबिक मीटर और कार की हवा में 2,238 माइक्रोप्लास्टिक प्रति क्यूबिक मीटर मिला। इसमें से 94 प्रतिशत कण इतने छोटे थे कि सीधा फेफड़ों तक जाकर उसे डैमेज कर सकते हैं।

    इतने प्लास्टिक सूंघ जाते हैं लोग

    रिसर्चर्स ने पाया कि एक दिन में सांस लेने पर एक वयस्क करीबन 71 हजार माइक्रोप्लास्टिक पार्टिकल सूंघता है। जिसमें से 68 हजार सब-10 माइक्रोमीटर जितने बड़े होते हैं। यह पिछले अनुमानों से 100 गुना ज्यादा है।

    सैकड़ों बीमारियों का खतरा

    प्लास्टिक के इतने छोटे कण शरीर के हर हिस्से में इकट्ठा हो सकते हैं। जिसकी वजह से सेल्स और टिश्यू का फंक्शन बेकार हो जाता है। इन्हें कई सारे शोधों में कैंसर की वजह, स्ट्रोक, खराब फर्टिलिटी जैसी सैकड़ों बीमारियों से जोड़ा जा चुका है।

    Latest news

    Related news

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here