मुंबई: 2022 में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की सरकार गिरान के लिए 18 विधायकों और 4 सांसदों को हनीट्रैप किया गया था। छवि खराब होने के डर से विधायकों ने पार्टी छोड़कर महायुति का दामन थाम लिया। शिवसेना (यूबीटी) के अखबार सामना में दावा किया गया है कि हनीट्रैप के लिए महाविकास अघाड़ी के विधायकों और सासंदों के फोन में पेगासस जैसे सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था। महाराष्ट्र में हनीट्रैप मामले में प्रफुल लोढ़ा को अरेस्ट किया गया है। सामना में ऐसे वक्त पर यह दावा किया गया है जब शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत खुद इस मुद्दे पर मुखर हैं, हालांकि सीएम फडणवीस कह चुके हैं कि राज्य में ऐसा कोई मामला नहीं हुआ है।
हनी ट्रैप पर गरमाई है राजनीति
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हनीट्रैप का जिन्न सामने आया है। ठाकरे परिवार के मुखपत्र सामना में दावा किया गया है कि 2022 में उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों के अलावा हनीट्रैप जैसे खेल हुए। कुछ विधायकों ने ईडी और सीबीआई के दबाव में पार्टी बदली। सामना में छपे रिपोर्ट में आरोप है कि बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे के पास पहले 9-10 विधायक थे, मगर तब नेता विपक्ष रहे देवेंद्र फडणवीस ने सांसदों और विधायकों को ब्लैकमेल किया। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में भी यह दावा किया जा रहा है कि जांच में कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। हनीट्रैप स्कैंडल को लेकर कांग्रेस नेता नाना पटोले ने एक पेन ड्राइव विधानसभा में लहराई थी।
हिडन कैमरे के इस्तेमाल का दावा
सामना में कहा गया है कि शिवसेना के नेताओं को हनीट्रैप के जाल में उलझाने के लिए हिडन कैमरे और पेगासस जैसे टूल का इस्तेमाल किया गया। हनीट्रैप के सबूत पेनड्राइव में थे, जो एकनाथ शिंदे को दी गई। इसके बाद शिवसेना विधायक शिंदे के समर्थन में चले गए। इसके बाद शिंदे विधायकों के लेकर सूरत, गोवा और गुवाहाटी चले गए। रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार बदलने के बाद कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने ब्लैकमेल के मुद्दे को उठाया था, मगर इसकी जांच नहीं की गई। आलेख में शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट, योगेश कदम और दादा भुसे और एनसीपी नेता माणिक कोकाटे को मंत्री पद से हटा देना की मांग भी की गई है।