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    2000 करोड़ में नहीं बन सका 83 किमी का रेल ट्रैक, सिस्टम पर उठे सवाल

    पंजाब। पंजाब में नांगल डैम से तलवाड़ा तक बन रही रेलवे लाइन पूरे देश में चर्चित है। यह इसलिए क्योंकि यह भारत में रेलवे का वह प्रोजेक्ट है, जो सबसे लंबे समय से पेंडिंग है। इसे पूरा करने में कई परेशानियां हैं। 62 साल के जतिंदरपाल सिंह ने कहा कि वह हर समय सोचते हैं कि यहां ट्रेन कब आएगी? उनकी आवाज़ में निराशा झलकती है, क्योंकि इसका जवाब किसी के पास नहीं है। जतिंदरपाल का गांव ब्रिंगली है। ब्रिंगली तलवाड़ा में ब्यास नदी के किनारे पर है। यह इलाका चंडीगढ़ से लगभग 200 किमी दूर है। इस गांव में रेल लाइन बिछाने की योजना रेलवे ने लगभग 40 साल पहले बनाई थी।

    1985 में शुरू हुआ काम

    रेलवे के इस प्रोजेक्ट पर केंद्र ने 1981-82 में काम शुरू किया। 1985 की गर्मियों में इस पर धरातल पर काम शुरू हुआ। यह रेलवे लाइन नांगल डैम से मुकेरियां होते हुए तलवाड़ा तक जानी थी। इस दौरान एक नई ब्रॉड-गेज रेलवे लाइन बिछाई जानी थी। इस प्रोजेक्ट पर लगभग 2000 करोड़ रुपये खर्च हुए। प्रोजेक्ट का उद्देश्य पंजाब और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में बिना रुकावट रेल सर्विस देना था।

    87 फीसदी हुआ काम

    नांगल डैम से तलवाड़ा रेलवे लाइन का काम शुरू हुआ लेकिन 87 फीसदी काम होने के बाद यह अटक गया। पंजाब में ज़मीन लेने, पर्यावरण की मंजूरी लेने और बिजली-पानी की लाइनों को हटाने जैसी दिक्कतों के चलते काम रुक गया। आज 40 साल बाद भी यह प्रोजेक्ट फिर शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि अब इस प्रोजेक्ट में फिर से जान डालने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस प्रोजेक्ट की समीक्षा की है और आगे और देरी न करने का आदेश दिया है। फिलहाल, मुकेरियां-तलवाड़ा के बीच खुदाई की इजाज़त न मिलने की वजह से काम रुका हुआ है।

    प्रोजेक्ट में क्या अड़चनें

    इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पंजाब को लगभग 72 हेक्टेयर जमीन चाहिए। इसके अलावा रेलवे, पंजाब सरकार और पर्यावरण मंत्रालय को राज्य में खुदाई लिए वन विभाग से मंज़ूरी चाहिए। रेलवे मंत्रालय ने यह मुद्दा पर्यावरण मंत्रालय में उठाया है। कागज़ी कार्रवाई जारी है। प्रोजेक्ट इतना धीमा चल रहा है कि एक और पीढ़ी बड़ी हो गई है। लोगों ने यहां अब यह तक कहना शुरू कर दिया है कि यहां अब कभी ट्रेन नहीं आएगी।

    बचपन में शुरू हुआ प्रोजेक्ट, बूढ़े हो गए पर पूरा नहीं

    जतिंदरपाल ने बताया कि उनका परिवार 300 सालों से ब्रिंगली में रह रहा है। 1976 में जब हिमाचल प्रदेश के दौलतपुर चौक से तलवाड़ा तक एलिवेटेड रेल कॉरिडोर बनाने के लिए जमीन का सर्वे किया गया था तो यहां के लोग बहुत खुश थी। जतिंदरपाल ने बताया कि वह तब बहुत छोटे थे लेकिन सबकी बातें सुनकर यह समझते थे कि गांव में कुछ बहुत अच्छा होने वाला है। गांव में प्रोजेक्ट की टीम आती थी तो आधे से ज्यादा गांव उनके साथ सीमांकन रेखाओं के काम पर जाता था।

    कितना हुआ काम और कहां अटका?

    जतिंदर ने बताया कि उस समय जमीन की मार्किंग करने के बाद पिलर लगाए गए थे। 1981 में प्रोजेक्ट का नोटिफिकेशन औपचारिक रूप से हुआ। 1985 में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ। कुछ निर्माण भी शुरू हुआ लेकिन फिर यह अटक गया। नांगल डैम की ओर से सिर्फ 60 किमी का सेक्शन पूरा हुआ है। यह लाइन दौलतपुर चौक तक चालू है। दौलतपुर चौक और तलवाड़ा के बीच बचा हुआ 23.7 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर का काम लगभग 50 फीसदी पूरा हो चुका है। रेलवे मंत्रालय की मानें तो तलवाड़ा के पास 2.5 किमी से 3 किमी का हिस्सा महत्वपूर्ण है, यहां अब भी जमीन अधिग्रहण बाकी है।

    मुआवजे पर फंसा पेच

    जमीन के मुआवज़े को लेकर लोगों में नाराज़गी है। कई लोगों का आरोप है कि उन्हें उनकी जमीन का कम रेट दिया गया। एक शख्स ने कहा कि हिमाचल में जमीन 1 लाख रुपये प्रति मरला (25.3 वर्ग मीटर) के रेट पर ली गई। वहीं पंजाब में हमें केवल 8500 रुपये प्रति मरला ही दिया जा रहा है। निवासियों ने यह मुआवज़ा लेने से इनकार कर दिया है। मामला कोर्ट में पेंडिंग है। एक किसान ने कहा कि हम प्रोजेक्ट के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हमारे साथ न्याय हो। हमें जमीन के बदले जमीन मिले या फिर सही भुगतान।

    कौन कर रहा रेल लिंक का निर्माण

    रेल लिंक का निर्माण तीन बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियां एनपी जैन कंस्ट्रक्शन कंपनी, आरकेसी कंपनी और एचएमएम इंफ्रास्ट्रक्चर कर रही है। देरी और विवादों के बावजूद अफसरों का दावा है कि रेलवे लाइन 31 दिसंबर 2027 तक पूरी हो जाएगी। वहीं पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद लोगों की उम्मीद बढ़ गई है कि अब काम जल्द ही पूरा होगा।

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