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    जहारखेड़ा मेले और दंगल में पहुंचे नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली

    जूली बोले– दंगल मात्र खेल नहीं, यह हमारी संस्कृति और भाईचारे का प्रतीक है

    मिशनसच न्यूज,  जयपुर/ अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के जहारखेड़ा गांव में आयोजित जहारपीर बाबा के ऐतिहासिक मेले और भव्य कुश्ती दंगल प्रतियोगिता में रविवार को राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने देवतुल्य जनता से आशीर्वाद प्राप्त किया और पारंपरिक कुश्ती दंगल का आनंद लिया।
    दंगल प्रतियोगिता में क्षेत्र के अलावा विभिन्न जिलों और पड़ोसी राज्यों से भी नामी पहलवानों ने हिस्सा लिया। पूरे गांव और आसपास के इलाकों में मेले जैसा माहौल रहा। हजारों की संख्या में लोगों की मौजूदगी ने आयोजन को और भव्य बना दिया।
    जूली ने जनता को किया नमन
    मंच पर संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि जहारखेड़ा का यह मेला और यहां होने वाला दंगल, मात्र मनोरंजन का साधन नहीं है बल्कि हमारी जीवंत लोकपरंपरा, शौर्य, पराक्रम और भाईचारे का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं और आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देते हैं कि हमारी संस्कृति कितनी समृद्ध और गौरवशाली है।
    जूली ने कहा, “यह दंगल हमारे पूर्वजों की परंपरा है, जिसने समाज को एकजुट किया है। यह खेल युवा पीढ़ी को अनुशासन, साहस और संघर्षशीलता का पाठ पढ़ाता है। हमें गर्व होना चाहिए कि हम ऐसी धरती पर रहते हैं जहां ऐसी लोकपरंपराएं आज भी जीवित हैं।”
    खेल और संस्कृति को जोड़ने वाला आयोजन
    जूली ने कहा कि कुश्ती दंगल मात्र एक खेल प्रतियोगिता नहीं बल्कि सामाजिक मेलजोल का अवसर है। यहां लोग अपने-अपने गांवों और कस्बों से आकर एक जगह एकत्र होते हैं। आपसी भाईचारे, सौहार्द और सम्मान की भावना इसी तरह मजबूत होती है। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को हमारी खेल भावना, संस्कृति और परंपरा से जोड़कर रखना ही ऐसे आयोजनों का असली उद्देश्य है।
    नेता प्रतिपक्ष ने युवाओं से आह्वान किया कि वे खेलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। उन्होंने कहा कि आज का युग प्रतिस्पर्धा का है और खेलों में करियर की अपार संभावनाएं हैं। सरकार भी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएं चला रही है।
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी रहे मौजूद
    इस अवसर पर कांग्रेस के मुख्य सचेतक रफ़ीक़ खान भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि ऐसे मेले और दंगल ग्रामीण समाज में उत्साह का संचार करते हैं और लोगों को अपनी संस्कृति व परंपराओं से जोड़ते हैं।
    मंच से अन्य वक्ताओं ने भी जहारपीर बाबा मेले के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया। स्थानीय प्रतिनिधियों ने बताया कि यह मेला कई दशकों से लगातार आयोजित हो रहा है और यहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु और खेल प्रेमी जुटते हैं।
    जहारपीर बाबा मेले का महत्व
    जहारखेड़ा का जहारपीर बाबा मेला धार्मिक आस्था और लोक परंपरा का संगम माना जाता है। श्रद्धालु दूर-दूर से आकर बाबा के दरबार में मत्था टेकते हैं और परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करते हैं। मेले के दौरान व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ जाती हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाले ऐसे आयोजन स्थानीय स्तर पर विकास की धुरी भी बनते हैं।
    जनता के बीच लोकप्रियता
    टीकाराम जूली का गांव में पहुंचना स्थानीय लोगों के लिए उत्साह का विषय रहा। लोग उनसे मिलने और अपने विचार साझा करने के लिए उमड़ पड़े। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने नेता प्रतिपक्ष का स्वागत किया। जूली ने भी हर किसी से आत्मीयता से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं।
    उन्होंने कहा कि जनता की भागीदारी और सहयोग से ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। “जनता जनार्दन ही असली शक्ति है, और मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे आप सबका आशीर्वाद लगातार मिल रहा है।”
    सामाजिक और राजनीतिक संदेश
    विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के आयोजनों में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति न केवल सांस्कृतिक धरोहर को बल देती है बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी सकारात्मक संदेश देती है। नेता प्रतिपक्ष का ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह जुड़ना उनकी जमीनी पकड़ को भी दर्शाता है।
    जहारखेड़ा का यह मेला और दंगल न केवल परंपरा का प्रतीक है बल्कि सामाजिक एकता और खेल भावना का भी उत्सव है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस के मुख्य सचेतक रफ़ीक़ खान की मौजूदगी ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ा दिया। जूली का यह कहना कि “दंगल मात्र खेल नहीं, बल्कि हमारी जीवंत संस्कृति और भाईचारे का प्रतीक है” लोगों के दिलों में उतर गया।

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