नई दिल्ली. कुवैत में जर्जर बिल्डिंग खाली कराने के बाद राजस्थान के बांसवाड़ा-डूंगरपुर जिले के मजदूर सड़कों पर रहने को मजबूर हैं। कुवैत के इस शहर बनैद अल गर के इस्तिकलाल इलाके में बांसवाड़ा-डूंगरपुर के मजदूर बड़ी संख्या में रहते हैं। यहा इस्तिकलाल इलाके में रहने वाले राजस्थान के लोगों ने बताया कि शहर में अग्निकांड के बाद सरकार सख्त है। पुरानी और असुरक्षित इमारतें खाली कराई जा रही हैं। मजदूरों ने बताया- जिन इमारतों में हम रहते थे, वहां के बिजली कनेक्शन बिना कोई सूचना दिए काट दिए गए। इसके बाद इमारतों को खाली करने को कहा। इलाके में किराए पर नए कमरे भी नहीं मिल रहे हैं। सामान सड़क पर पड़ा है, काम पर भी नहीं जा पा रहे हैं। आपबीती का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला या परिवारवालों से शेयर किया तो गिरफ्तारी भी हो सकती है।
12 जून को 6 मंजिला इमारत में लगी थी आग
कुवैत के मंगाफ शहर में 12 जून को 6 मंजिला इमारत में आग लग गई थी। हादसे में 49 मजदूरों की मौत हो गई थी। इनमें 45 मजदूर भारतीय थे। हादसे के बाद कुवैत में जर्जर इमारतों को खाली कराया जा रहा है। एक कमरे में बड़ी संख्या में रहने वाले मजदूरों को निकाला जा रहा है। इसके कारण मजदूर सामान के साथ सड़कों पर हैं।
नहीं किए अस्थायी प्रबंध
युवक ने बताया- शहर में फ्लैट में रहने वाले लोग सुरक्षित हैं, लेकिन जर्जर पुरानी इमारतों में, छोटे गलियारों और कमरों में एक साथ 7-8 की संख्या में रहने वाले मजदूरों को निकाला जा रहा है। इन मजदूरों के लिए अस्थायी प्रबंध नहीं किए गए हैं। सड़क किनारे सामान रखकर ये लोग फुटपाथ पर ही रातें काट रहे हैं। कुवैत में राजस्थान के वागड़ क्षेत्र (बांसवाड़ा-डूंगरपुर) के करीब 5 हजार मजदूर काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर प्रभावित हुए हैं। सड़कों पर कितने मजदूर रहने को मजबूर हैं, इसका आंकड़ा सामने नहीं आया है, लेकिन संख्या बड़ी है। ये लोग इन इमारतों में सस्ते किराए के कारण रहते थे। इस्तिकलाल इलाके से भारतीय दूतावास महज एक किलोमीटर दूर है। कुछ इमारतें तो भारतीय दूतावास से महज 500 मीटर की दूरी पर हैं। फिर भी मजदूरों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई।