किशनगढ़ बास के 65 वर्षीय इंद्रपाल खुराना हर सुबह 40-50 लोगों को मुफ्त चाय पिलाते हैं। कोरोना काल में शुरू हुई यह सेवा आज भी जारी है।
मिशनसच न्यूज, किशनगढ़ बास।
हर छोटे-बड़े रेलवे स्टेशन पर और ट्रेनों में हम सबने कभी न कभी “चाय-चाय” की आवाज ज़रूर सुनी होगी। आमतौर पर यह आवाज चाय बेचने वाले की होती है, जो पैसे लेकर चाय पिलाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कोई शख्स बिना पैसे लिए, केवल सेवा भावना से, सड़कों पर घूम-घूमकर चाय पिलाता हो? शायद ही किसी को ऐसा अनुभव हुआ होगा। मगर किशनगढ़ बास के 65 वर्षीय इंद्रपाल खुराना इस अनोखी मिसाल को अपने जीवन का हिस्सा बना चुके हैं।
इंद्रपाल खुराना रोज़ सुबह 5 बजे उठकर सबसे पहले लोगों के लिए घर पर चाय तैयार करते हैं। थरमस में भरकर वे गलियों और सड़कों पर निकलते हैं और “चाय-चाय” की आवाज लगाते हुए लोगों को मुफ्त चाय पिलाते हैं। उनकी इस सेवा से रोजाना 40 से 50 लोग लाभान्वित होते हैं।
कोरोना काल में हुई थी शुरुआत
इंद्रपाल खुराना बताते हैं कि मुफ्त चाय पिलाने की शुरुआत उन्होंने कोरोना महामारी के समय की थी। उस दौर में जब चारों तरफ भय का माहौल था और लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी डरते थे, तब उन्होंने अपने स्तर पर समाज के लिए कुछ करने की ठानी। वे रोज़ घर पर चाय बनाकर पुलिसकर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों तक पहुंचाते और उन्हें चाय पिलाकर हौसला बढ़ाते। धीरे-धीरे यह आदत और सेवा भावना उनके जीवन का हिस्सा बन गई, जिसे उन्होंने आज तक नहीं छोड़ा।
परिवार और सामाजिक जुड़ाव
इंद्रपाल खुराना का परिवार भी इस सेवा कार्य में उनका पूरा सहयोग करता है। उनके एक बेटा और दो बेटियां हैं। सभी बच्चों की शादी हो चुकी है। बेटा कोयले का व्यापार करता है और साथ ही अपनी पत्नी के साथ रेडीमेड कपड़ों की दुकान भी चलाता है। खुराना चौक पर उनका अपना मकान और दुकानें भी हैं, जिन्हें किराए पर दिया हुआ है।
वे केवल चाय सेवा तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि समाज में सक्रिय भूमिका निभाते रहते हैं। जो लोग धार्मिक स्थलों पर अकेले जाने से हिचकिचाते हैं या रास्तों से अनभिज्ञ रहते हैं, उनके आग्रह पर इंद्रपाल खुराना स्वयं उन्हें महाकाल और शनिधाम जैसे धार्मिक स्थलों पर ले जाते हैं। अब तक वे सैकड़ों लोगों को धार्मिक यात्राओं पर साथ ले जाकर उनकी आस्था को मजबूत बना चुके हैं।
इंसानियत की मिसाल
आज के समय में जब अधिकांश लोग अपने-अपने काम में व्यस्त रहते हैं, वहीं इंद्रपाल खुराना का यह निस्वार्थ सेवा भाव समाज के लिए प्रेरणादायक है। उनकी “मुफ्त चाय सेवा” केवल चाय पिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवता और सेवा भावना का ज्वलंत उदाहरण है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि खुराना जी की चाय पीकर दिन की शुरुआत करना उनके लिए एक आशीर्वाद जैसा है। कई लोगों का कहना है कि यह केवल चाय नहीं, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा देने वाला कदम है।
इंद्रपाल खुराना का यह प्रयास बताता है कि सेवा के लिए बड़ी चीजों की जरूरत नहीं होती। छोटी-सी पहल भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकती है। उनकी यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए इंसानियत और सेवा भावना की जीवंत सीख है।