हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित माना गया है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है. इससे पितृ भी प्रसन्न होते हैं. इस दिन तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. अगर कोई व्यक्ति किसी कारणवश यह कर्म न कर पाए, तो कुछ विशेष उपायों के माध्यम से भी पितरों का आशीर्वाद पाया जा सकता है.
जानिए कब है आषाढ़ अमावस्या
आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत पंचांग के अनुसार 24 जून की शाम 7 बजकर 2 मिनट से होगी. वहीं इसकी समाप्ति 25 जून की शाम 4 बजकर 4 मिनट पर हो जाएगी. उदयातिथि की मान्यता के अनुसार आषाढ़ अमावस्या तिथि 25 जून को मानी जाएगी. इसी दिन तर्पण, दान-पुण्य और धार्मिक क्रियाकलापों को करना शुभ माना जाएगा.
जरूर लगाएं ये पौधे
नीम: आषाढ़ अमावस्या के दिन आपको नीम का पेड़ लगाने से भी काफी लाभ मिल सकता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर या आसपास नीम का पौधा लगाने से शनि और राहु के अशुभ प्रभाव से भी राहत मिल सकती है. साथ ही जातक के लिए तरक्की के योग बनने लगते हैं. ऐसे में आषाढ़ अमावस्या के मौके पर नीम का पेड़ लगाना काफ़ी शुभ होता है.
पीपल: अमावस्या पर पीपल पेड़ की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इससे साधक को पितरों का आशीर्वाद मिलता है. ऐसे में आप पितृ दोष से राहत पाने के लिए आषाढ़ अमावस्या के दिन मंदिर या फिर किसी सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पौधा लगा सकते हैं. इससे पितर प्रसन्न होते हैं. साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. कहा जाता है कि सात जन्मों तक पितरों की कृपा बनी रहती है.