गिरिडीह। जिले के देवरी प्रखंड अंतर्गत खटोरी पंचायत के जेवड़ा गांव में सड़क सुविधा न होने के कारण प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला को खटिया पर कंधे के सहारे अस्पताल पहुंचाना पड़ा। यह घटना मूलभूत सुविधाओं से वंचित इस सुदूरवर्ती आदिवासी बहुल क्षेत्र की बदहाली को उजागर करती है।
जानकारी के अनुसार, जेवड़ा निवासी नरेश सोरेन की 19 वर्षीय पत्नी सलगी मुर्मू प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी। गांव तक एंबुलेंस या बाइक का रास्ता न होने के कारण परिजनों और ग्रामीणों ने उसे खटिया पर लिटाकर कंधे से उठाया और नदी पार कर मेन रोड तक पहुंचाया। इसके बाद महिला को तीसरी स्थित स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया।
आजादी के बाद से नहीं बनी सड़क
ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद से अब तक जेवड़ा गांव को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। बरसात के दिनों में नदी का जलस्तर बढ़ने से गांव पूरी तरह टापू बन जाता है। ऐसे में मरीजों को अस्पताल ले जाना सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है।
अधिकारियों और नेताओं के दौरे बेनतीजा
ग्रामीणों ने बताया कि जब वंदना डडेल गिरिडीह की उपायुक्त थीं, तब उन्होंने गांव का दौरा किया था। इसके अलावा तीन बार विधायक रहे केदार हजरा भी यहां आ चुके हैं, लेकिन सड़क निर्माण की समस्या अब तक जस की तस है।
ग्रामीणों ने सरकार से जल्द से जल्द सड़क और अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।