मतांतरण थी भूल ,घर वापसी कर चुके 250 परिवारों की आपबीती

 अमृतसर। मतांतरण हमारी भूल थी। इससे समाज व अपनी सनातन संस्कृति से तो कटे ही, साथ ही जो छलावा देखकर मतांतरित हुए थे, वह भी पूरा नहीं हुआ। अब हम जाग गए हैं। अपनी संस्कृति की पताका फहराएंगे और लालच, भ्रम और अंधविश्वास में फंसाकर मतांतरण का जो यह कुचक्र चल रहा है, इसमें फंस रहे अपने समाज को भी बाहर निकालेंगे। मतांतरित हुए लोगों को अपने मूल धर्म की राह दिखाने का बीड़ा उठानी वाली ‘पावन वाल्मीकि तीर्थ एक्शन कमेटी’ के प्रयास के बाद यह सोच समाज में विकसित होने लगा है। सीमांत जिलों में सक्रिय यह कमेटी अब तक 250 से अधिक परिवारों की घर वापसी करवा चुकी है और सैकड़ों को जागरूक कर रही है।

1000 से ज्यादा सदस्य इस अभियान से जुड़े

मिशनरी संगठनों के झूठे वादों में फंसकर दूसरे धर्म अपनाने वालों को अब सच्चाई का एहसास हो रहा है और वे कमेटी के सदस्यों की मदद से अपने मूल धर्म में वापसी कर रहे हैं। यह कमेटी 2015-16 से लगातार ‘घरवापसी’ की अलख जगा रही है। पिछले दो सालों में इस अभियान में अमृतसर के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के अन्य जिलों में भी कार्य हो रहा है। 1000 से ज्यादा सदस्य इस जागरूकता अभियान से जुड़े हैं। इसी प्रयास का ही परिणाम है कि बड़ी संख्या में अनुसूचित समाज से जुड़े लोग, जो भ्रम और आर्थिक तंगी के चलते धर्म परिवर्तन कर बैठे थे, अब दोबारा अपने मूल धर्म और संस्कृति की ओर लौट रहे हैं।

परिवारों की आपबीती

अमृतसर में राजासांसी के निकट गांव खुसुपुर में रहने वाले एक परिवार के मुखिया ने बताया कि उन्हें कहा गया था कि हर महीने आर्थिक मदद मिलेगी, बच्चों की मुफ्त पढ़ाई होगी। आर्थिक तंगी में जब यह उम्मीद मिली तो उस छलावे में हम बह गए। उनका यह भ्रम मात्र कुछ महीनों में ही टूट गया, जब मदद बंद हो गई। जब हमने मिशनरीज से सवाल किए, तो हमें ही कठघरे में खड़ा कर दिया गया। तब अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने कमेटी की मदद से घर वापसी की। अब वह कहते हैं कि हमारा सनातन धर्म हमें सहनशीलता और प्रेम सिखाता है, न कि अलगाव। अब हम पहले से ज्यादा संतुष्ट हैं। कुछ ऐसी ही कहानी अजनाला के गांव भिडीसैदा के एक परिवार की है। परिवार कुछ साल पहले एक मिशनरी के संपर्क में आया। आर्थिक मदद, इलाज और नौकरी के वादों में उन्होंने मतांतरण कर लिया। काफी समय तक लगा कि हमने सही किया, लेकिन धीरे-धीरे पता चला कि ये वादे खोखले थे। जब खुद से सवाल पूछे तो जवाब अपने ही धर्म में ही मिला। इसके बाद कमेटी के सदस्यों ने संवाद कायम कर, धार्मिक और सामाजिक शिक्षा देकर उन्हें फिर से उनके मूल धर्म की ओर प्रेरित किया। वापसी के बाद परिवार का कहना है कि अब समझ आया कि हमारे पूर्वजों की राह ही सही थी।

भ्रम फैलाकर मतांतरण, फिर छोड़ दिए लोग

कमेटी के चेयरमैन कुमार दर्शन कहते हैं कि मिशनरीज का टारगेट गरीब, अशिक्षित, अनुसूचित समाज के लोग हैं। उन्हें दवा, शिक्षा, धन या सामाजिक सुरक्षा का झांसा देकर मतांतरण के लिए तैयार किया जाता है। जब वादे टूटते हैं और सामाजिक पहचान की पीड़ा सताती है, तब लोग वापसी का रास्ता खोजते हैं। जब उनके अपने धर्म के लोगों ने उन्हें अपनाया, सम्मान दिया, तब वे समझ सके कि धर्म कोई सौदा नहीं, यह आत्मा की पहचान है। चेयरमैन दर्शन बताते हैं कि पावन वाल्मीकि तीर्थ में हर रविवार एक विशेष जागरूकता गीत गाया जाता है। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक प्रेरणा नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वावलंबन और अंधविश्वास से मुक्ति दिलाना है।

250 परिवार लौटे, 268 की सूची तैयार

कुमार दर्शन बताते हैं कि कमेटी ने अब तक करीब 250 परिवारों की घर वापसी करवाई है, जबकि 268 परिवारों की सूची और संवाद प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इतना ही नहीं, कमेटी एक और पहल पर काम कर रही है। जो लोग मतांतरण के बावजूद एससी कोटे का लाभ ले रहे हैं, उन लोगों की सूची तैयार की जा रही है। दर्शन कहते हैं या तो वे घरवापसी करें या फिर एससी प्रमाण पत्र त्याग दें। किसी का अधिकार कोई और नहीं छीन सकता।

ऐसे आया मन में विचार और यह अपनाया तरीका

कुमार दर्शन बताते है कि वाल्मीकि समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े लोग कब मिशनरीज के रडार पर आ गए, खुद समाज को भी पता नहीं चला। हमें भी तब पता चला जब उनकी पूजा पद्धति में अपने ईष्ट की जगह दूसरा विराजमान हो गया है और अपनी पद्धति के प्रति दुर्भावना पैदा की जा रही है तो उनकी टीम ने इसे खंगाला शुरू किया। विशेषकर बॉर्डर के पास जहां लोगों से संपर्क कम रहता है, वे इलाके मिशनरीज के टारगेट पर दिखे। समाज के जो परिवार मतांतरित हुए थे, उनके साथ बैठना शुरू किया और समझा कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया। उन्होंने जब प्रलोभन के सब्जबाग के किस्से बताए तो पूरा सिस्टम समझते ज्यादा समय नहीं लगा कि हमारे समाज का उपेक्षित वर्ग जो आर्थिक रूप से कमजोर है, उन्हें लालच देकर यह सब कुछ चल रहा है। अब जब धीरे-धीरे लोगों का भ्रम टूट रहा है तो कमेटी उन्हें सम्मानजनक वापसी की राह दिखा रही है। कुछ सफलता मिली है आने वाले समय में और की उम्मीद है।

अब अकाल तख्त भी जोड़ रहा कड़ियां: कार्यकारी जत्थेदार

श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज ने बताया कि सीमावर्ती व पिछड़े इलाकों में मतांतरण की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए ‘खुआर होए सब मिलेंगे’ अभियान चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इन्हीं क्षेत्रों में मतांतरण सबसे अधिक हो रहा है और वहीं धार्मिक जागरूकता की सबसे ज्यादा जरूरत है। इसी को देखते हुए धर्म प्रचार कमेटी की टीमें और वे स्वयं लगातार ऐसे लोगों से संपर्क कर रहे हैं, जिन्होंने मतांतरण किया है या जो ऐसे प्रभाव वाले क्षेत्रों में रहते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here