धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम को नहीं मिली अनुमति, 6 को पटना में जुटेंगे कई संत

पटना। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बिहार से प्रेम किसी से छिपा नहीं है। वह करीब 4 बार बिहार जा चुके हैं। धीरेंद्र बिहार को देश का सबसे अच्छा राज्य मानते हैं और खुद को बिहारी तक बता चुके हैं। बता दें गोपालगंज में एक धार्मिक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि मैं भी बिहारी हूं। उन्होंने सिर पर मुरेठा बांधकर ‘जिया हो बिहार के लाला’ गाना भी गया था। उन्होंने विरोधियों से कहा था कि ‘अगर मुझे बिहार आने से रोका तो यहीं घर बना लूंगा, लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि इस बार बिहार पटना के गांधी मैदान में धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी।
कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री, तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामभद्राचार्य समेत कई संत 6 जुलाई को पटना पहुंच रहे हैं। यहां के गांधी मैदान में बड़ा धार्मिक आयोजन होने वाला है, लेकिन उससे पहले प्रशासन ने साफ कहा दिया है भीड़ नियंत्रण और विधि व्यवस्था की वजह से ऐसे कार्यक्रम नहीं होगा। प्रशासन की कहा कि पिछली बार धीरेंद्र शास्त्री के नौबतपुर वाले कार्यक्रम में भीड़ बढ़ गई थी। उस दौरान भीड़ को काबू करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। यही वजह है अब तक प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है।
जानकारी के मुताबिक धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम की अनुमति के लिए अधिकारियों की एक टीम गठित की जा सकती है। जो भीड़ प्रबंधन और कानून व्यवस्था को लेकर शहर में क्या स्थिति बनेगी उस पर रिपोर्ट तैयार करेगी। रिपोर्ट के आधार पर ही अनुमति दी जाएगी। प्रशासन का कहना है कि धीरेंद्र शास्त्री के साथ ही पटना में होने वाले इस कार्यक्रम में कई संत आने वाले हैं। बता दें धीरेंद्र शास्त्री इस साल 20 मई को बिहार के मुजफ्फरपुर आए थे, जहां उन्होंने दरबार लगाया था, जिसमें बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी थी। इसके साथ धीरेंद्र अब तक बिहार में कई बड़े सार्वजनिक धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं।। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन अपराध है। इसके खिलाफ सरकारों को सख्त कदम उठाने चाहिए। कैलाशानंद गिरी कहा कि छत्तीसगढ़ धार्मिक स्थान है। छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे धर्मांतरण पर उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सबसे पुराना धर्म है। जबरन धर्म का परिवर्तन करवाना अधर्म है। सरकार को इस विषय पर कदम उठाना चाहिए। साधु-संत भी लगातार धर्मांतरण को रोकने के प्रयास कर रहे हैं।
कैलाशानंद गिरी ने कहा कि हमें परमात्मा ने धर्म का संदेश घर-घर पहुंचाने के लिए ही भेजा है। हाल में यूपी में कथावाचक को उसकी जाति की वजह से अपमान झेलना पड़ा। इस पर कैलाशानंद गिरी ने कहा कि हमें जाति से ऊपर उठकर धर्म की बात करनी चाहिए। सभी चार वर्णों की उत्पत्ति भगवान विष्णु से ही हुई है। इसलिए हमें किसी से भी भेद नहीं करना चाहिए। मेरे लिए सिर्फ सनातन ही एकमात्र जाति है। सनातन की बात करने वाला मेरा है, जो सनातन की बात नहीं करता, वह मेरा नहीं है।
कोलकाता में हाल में हुए एक सामूहिक दुष्कर्म से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि जहां भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। वहां की सरकार को इसके खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए। अपराधी चाहे किसी भी धर्म का हो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
आसाराम, राम रहीम और इनके जैसे लोग धर्म की आड़ में गलत काम कर रहे हैं।
डोंगरगढ़ में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक बाबा गलत काम कर रहा है। इस पर कैलाशानंद गिरी ने कहा कि मैं बार-बार कहता हूं कि आसाराम, राम रहीम या ऐसे अन्य लोग किसी परंपरा से जुड़े नहीं हैं। ये सभी स्वतंत्र हैं। ये किसी अखाड़े से नहीं हैं। मेरा अखाड़ा भारत का सबसे बड़ा अखाड़ा है, जिसमें लाखों साधु हैं। किसी भी साधु से हुई छोटी गलती पर भी उसे निष्कासित कर दिया जाता है। इसलिए जो किसी परंपरा से जुड़े नहीं हैं, उसे साधु नहीं कहा जाए।

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