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    40 के बाद इन 6 लक्षणों को न करें नजरअंदाज, राकेश रोशन की घटना बनी चेतावनी

    Brain hemorrhage sign : ऋतिक रोशन के पिता और बॉलीवुड एक्टर-डायरेक्टर राकेश रोशन ने बताया है कि उनके साथ इस हफ्ते एक बहुत जरूरी और सीख देने वाली बात हुई। वो एक सामान्य फुल बॉडी हेल्थ चेकअप के लिए गए थे। जब डॉक्टर ने हार्ट की सोनोग्राफी की, तो उन्होंने कहा कि गर्दन की भी सोनोग्राफी करवा लें।

    इस जांच से पता चला कि उनकी गर्दन की दोनों कैरोटिड आर्टरी (जो दिमाग तक खून पहुंचाती हैं) 75% से ज्यादा ब्लॉक थीं और उन्हें इसका कोई लक्षण भी नहीं था। अगर ये समय पर नहीं पता चलता, तो बड़ी परेशानी हो सकती थी। मैंने तुरंत अस्पताल में भर्ती होकर इलाज करवा लिया। राकेश रोशन ने कहा कि अब मैं ठीक हूं और घर लौट आया हूं। जल्द ही मैं फिर से एक्सरसाइज शुरू करने वाला हूं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि कुछ साइलेंट किलर बिना लक्षणों के आपके शरीर में घर करते रहते हैं इसलिए समय-समय पर जांच जरूरी है।

    45-50 साल की उम्र के बाद सभी कराएं गर्दन की भी सोनोग्राफी

    राकेश रोशन ने बताया कि मैं चाहता हूं कि मेरा यह अनुभव और लोग भी सुनें और समझें कि सेहत का ध्यान रखना कितना जरूरी है, खासकर दिल और दिमाग से जुड़ी सेहत का। 45 से 50 साल की उम्र के बाद हर किसी को दिल की सीटी स्कैन और ब्रेन की कैरोटिड आर्टरी की सोनोग्राफी जरूर करानी चाहिए, क्योंकि ये जांच अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं। नेक सोनोग्राफी एक आसान और जरूरी टेस्ट है। इससे स्ट्रोक, थायरॉइड कैंसर या खून की नसों में रुकावट जैसी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।

    नेक सोनोग्राफी क्या है क्यों कराते हैं?

    नेक सोनोग्राफी एक तरह का अल्ट्रासाउंड जांच है। इसमें अल्ट्रासाउंड मशीन से गर्दन के अंदर की चीजें जैसे नसें, ग्रंथियां देखी जाती हैं। इसमें कैरोटिड आर्टरी की जांच की जाती है। यह आर्टरी यानी नसें दिमाग तक खून पहुंचाती हैं। अगर ये ब्लॉक हो जाएं या इनमें चर्बी जम जाए, तो लकवे (स्ट्रोक) का खतरा होता है। इस जांच से ये पता चल जाता है कि नस कितनी ब्लॉक है।

    कैरोटिड आर्टरी ब्लॉकेज के लक्षण

    शुरुआती समय में इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। लेकिन जब ब्लॉकेज 60-70% या उससे ज्यादा हो जाता है, तो कुछ संकेत दिख सकते हैं जैसे चेहरे, हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नपन, बोलने या समझने में परेशानी, अचानक धुंधला दिखना, संतुलन बिगड़ना या चक्कर आना, अचानक सिर में तेज दर्द होना।

    नेक सोनोग्राफी जांच के फायदे 

    इस जांच को कराने से बीमारियां शुरुआत में ही पकड़ आ जाती है, इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है, बिल्कुल दर्द नहीं होता और यह जांच कम खर्च में हो जाती है।

    थायरॉइड, गांठ या ट्यूमर की पहचान

    इस जांच से यह भी पता चल सकता है कि थायरॉइड में सूजन, गांठ या कैंसर है या नहीं। इसके अलावा गले में कोई गांठ, सूजन या टिशू ग्रोथ दिखे तो उसका पता लगाने में यह जांच बहुत काम आती है। अगर गले में सूजन या कोई गांठ है, तो ये जांच बताती है कि वो सामान्य है या किसी बीमारी की वजह से है।

    नेक सोनोग्राफी कब करानी चाहिए?

    अगर आपके गले में सूजन या गांठ हो, बार-बार चक्कर आते हों, स्ट्रोक का खतरा हो, थायरॉइड की दिक्कत हो, परिवार में दिल या स्ट्रोक की बीमारी हो। अगर राकेश रोशन की मानें तो 45-50 साल की उम्र के बाद इसकी जांच जरूर करानी चाहिए।

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