More
    Homeबिजनेसडबल चुनौती! बेरोजगारी और अल्प-रोजगार से जूझ रहा भारत, उबरने के लिए...

    डबल चुनौती! बेरोजगारी और अल्प-रोजगार से जूझ रहा भारत, उबरने के लिए चाहिए तेज़ विकास

    व्यापार: टैरिफ संकट और वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत रफ्तार से आगे बढ़ रही है। अगले दशक में भारत की सालाना वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है और यह दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी। हालांकि, रोजगार संकट (अल्प-रोजगार) को दूर करने के लिए भारत को हर साल 12.2 फीसदी की असाधारण वृद्धि दर हासिल करनी होगी। मॉर्गन स्टैनली के अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में कहा कि भारत का श्रम बाजार बेरोजगारी और अल्प-रोजगार की दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है।

    युवा बेरोजगारी दर 17.6 फीसदी है, जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सबसे अधिक है। अगर इस संकट को दूर नहीं किया गया, तो लाखों भारतीय युवा उत्पादक कार्यों से वंचित रह सकते हैं, जिससे घरेलू स्तर पर सामाजिक तनाव बढ़ सकता है। हालांकि, श्रमिकों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण कृषि क्षेत्र में रोजगार 17 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।

    मॉर्गन स्टैनली ने कहा, सरकार ने 6.3-6.8 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान जताया है, जो देश में बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए आवश्यक विकास दर से काफी कम है। भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ एवं एच-1बी वीजा शुल्क में भारी वृद्धि ने इस परिदृश्य को और जटिल बना दिया है। चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था उम्मीदों से बेहतर 7.8 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी, लेकिन यह गति अगले दशक में श्रमबल में शामिल होने वाले 8.4 करोड़ लोगों को पूरी तरह समायोजित करने के लिए आवश्यक विकास दर से काफी कम है।

    वैश्विक विकास इंजन बनने के लिए सुधार जरूरी
    मॉर्गन स्टैनली ने चेतावनी दी है कि मजबूत औद्योगिक और निर्यात वृद्धि, बुनियादी ढांचे के विकास, कौशल विकास व बेहतर कारोबारी माहौल में सुधार के बिना भारत रोजगार संकट के जाल में फंसने का जोखिम उठा रहा है। इससे दुनिया के अगले विकास इंजन बनने की भारत की महत्वाकांक्षा धीमी पड़ेगी। एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि के बावजूद भारतीयों पर नौकरी के लिए देश छोड़ने का दबाव बढ़ेगा।

    क्या है अल्प-रोजगार
    ऐसी नौकरी, जिसमें किसी व्यक्ति के कौशल, शिक्षा या उपलब्ध कार्य घंटों का पूरा उपयोग नहीं होता है। बेरोजगारी के विपरीत, अल्प-रोजगार को मापना मुश्किल है। भारत के संदर्भ में, पिछले सप्ताह कम से कम एक घंटा काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को रोजगार में गिना जाता है। इसमें अवैतनिक पारिवारिक श्रम भी शामिल है।

    चालू और अगले वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी रहेगी विकास दर: एडीबी
    एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) का अनुमान है… चालू और अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5% की दर से बढ़ेगी। हालांकि, इस दौरान एशिया व प्रशांत क्षेत्र की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर में कमी आ सकती है। इसकी वजह टैरिफ के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आना है।

    एडीबी ने अप्रैल में एशियाई विकास परिदृश्य (एडीओ) में 7 फीसदी की उच्च वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। बाद में भारत से होने वाले निर्यात पर 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ को देखते हुए जुलाई में वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया था।

    एडीबी ने कहा कि अतिरिक्त अमेरिकी टैरिफ से अक्तूबर से मार्च तक और फिर 2026-27 में भारत की वृद्धि दर में कमी आएगी। हालांकि, बेहतर घरेलू मांग और सेवा निर्यात इस प्रभाव को कम कर देंगे।एडीबी का अनुमान है कि कर राजस्व वृद्धि में गिरावट से राजकोषीय घाटा 4.4 फीसदी के बजट अनुमान से अधिक रहने की आशंका है। यह आंशिक रूप से जीएसटी कटौती के कारण है, जिसे मूल बजट में शामिल नहीं किया गया था। चालू खाता घाटा 2025-26 में 0.9 फीसदी और 2026-27 में 1.1 फीसदी के मध्यम स्तर पर बना रहेगा।

    latest articles

    explore more

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here