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    विदेश मंत्री जयशंकर ने जर्मनी से आर्थिक सहयोग पर की अपील

    नई दिल्ली । भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने जर्मन समकक्ष योहान वेडफुल के साथ नई दिल्ली में एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक की। बैठक भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। बता दें कि यह जर्मन विदेश मंत्री की इस साल चांसलर फ्रेडरिक मर्ज के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद भारत की पहली आधिकारिक यात्रा है।
    बातचीत के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने जर्मनी से यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता को तेज करने के लिए समर्थन मांगा। उन्होंने कहा, हम जर्मनी के समर्थन पर भरोसा करते हैं ताकि यूरोपीय संघ के साथ हमारा रिश्ता और गहरा हो सके। भारत और जर्मनी का बहुपक्षीय सहयोग का एक मजबूत इतिहास रहा है, और मुझे विश्वास है कि आज की हमारी बातचीत इस रिश्ते को और मजबूती देगी। विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत-जर्मनी संबंधों के महत्व पर वेडफुल की बेंगलुरु यात्रा की सराहना की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, हम इस बात से सहमत हैं कि यह आपकी यूरोप के बाहर शुरुआती यात्राओं में से एक है और हम आपके भारत आने की बहुत सराहना करते हैं। हम 25 साल की रणनीतिक साझेदारी, 50 साल के वैज्ञानिक सहयोग, और करीब 60 साल के सांस्कृतिक समझौतों का जश्न मना रहे हैं। जैसा कि आपने बेंगलुरु में देखा, एक सदी से अधिक समय से व्यापारिक संबंध भी हैं। मुझे खुशी है कि आपको बेंगलुरु जाने का मौका मिला, जहां आपने तकनीकी सहयोग की अपार संभावनाओं को देखा।
    वहीं जर्मन विदेश मंत्री ने भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के लिए अपने देश के पूर्ण समर्थन की बात कही है। उन्होंने कहा कि जर्मनी समझौते के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इस समझौते को आगे बढ़ाने के लिए यूरोपीय आयोग के साथ अपने प्रभाव का उपयोग करेगा। मंत्री ने कहा, जर्मनी समझौते को जल्द से जल्द लागू करने के लिए पूर्ण समर्थन में है। हम एक मुक्त व्यापार राष्ट्र हैं और भारत के साथ यह समझौता हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा, एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति, दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश और सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत का सामरिक महत्व बहुत ज्यादा है। अगर हमें अपने सहयोग को और आगे बढ़ाना है, तो हमारी अर्थव्यवस्थाओं को विशेष रूप से बहुत कुछ हासिल करना होगा। मैं कल बेंगलुरु में था, मैंने खुद देखा कि भारत कितना इनोवेशन महाशक्ति और टेक्नोलॉजी का केंद्र बन गया है।
     

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