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    ” उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बिहार की गौरवशाली विरासत को बताया भारत की आत्मा “

    मुजफ्फरपुर कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नालंदा, बुद्ध, महावीर और चंपारण सत्याग्रह की ऐतिहासिक विरासत को सराहा।

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    भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को मुजफ्फरपुर में एक कार्यक्रम के दौरान बिहार की गौरवशाली विरासत की तारीफ की. उन्होंने कहा कि बिहार केवल एक राज्य नहीं, बल्कि यह भारत की आत्मा है. उन्होंने कहा कि यह वो धरती है, जहां बुद्ध और महावीर का बोध, चंपारण का प्रतिरोध और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का संविधान निर्माण, सब एक ही धरातल पर मिलते हैं.

    मुजफ्फरपुर के ललित नारायण मिश्रा कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि बिहार की भूमि भारत की दार्शनिक नींव का जन्मस्थल है. बिहार बुद्ध, महावीर और डॉ राजेन्द्र प्रसाद की विरासत का संगम है. ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड और कैम्ब्रिज को मिला लें तो भी नालंदा की बराबरी नहीं हो सकती.

    चंपारण केवल एक सत्याग्रह नहीं था

    उपराष्ट्रपति ने कहा कि चंपारण केवल एक सत्याग्रह नहीं था, वह राष्ट्र-निर्माण की नई व्याकरण की शुरुआत थी. बिहार वह भूमि है जहां प्राचीन ज्ञान, सामाजिक न्याय और आधुनिक आकांक्षाएं साथ-साथ चलती हैं. जब आजादी की बात होती है, तो चंपारण सत्याग्रह का उल्लेख अनिवार्य है, जो बिहार की पवित्र धरती पर हुआ था. 1917 में महात्मा गांधी जी ने अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन चंपारण में शुरू किया.

    बिहार प्राचीन काल में वैश्विक शिक्षा का केंद्र था

    धनखड़ ने कहा कि बिहार प्राचीन काल में वैश्विक शिक्षा का केंद्र था. नालंदा, विक्रमशिला और ओदांतपुरी, ये केवल विश्वविद्यालय नहीं थे, ये सभ्यता थे. पांचवीं शताब्दी में नालंदा एक रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी थी, जहां चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत और मध्य एशिया से लोग ज्ञान अर्जित करने आते थे. यह तीनों संस्थान हमारे लिए हमेशा प्रेरणा रहेंगे कि हम कहां थे और हमें कहां पहुंचना है.

    ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड और कैम्ब्रिज…नालंदा के बराबर नहीं

    उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज भी ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड और कैम्ब्रिज को मिला लें, तो नालंदा की बराबरी नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय था, हमें जयप्रकाश नारायण जैसी विभूतियों को सदैव स्मरण रखना होगा. धनखड़ ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैं उस समय केंद्र में मंत्री था जब मंडल आयोग लागू हुआ और आज जब मैं राज्यसभा का सभापति हूं, कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित होते देखना मेरे लिए गौरव की बात है. सामाजिक न्याय की नींव में बिहार का योगदान अमिट है.

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