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    संगीत में डूबे कैलाश खेर कभी जिंदगी से हार मान बैठे थे, जानिए पूरा सफर

    कैलाश खेर म्यूजिक इंडस्ट्री के ऐसे सख्श हैं, जो किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। गायक ने अपने जीवन में कड़ा संघर्ष किया। इतना ही नहीं एक समय तो ऐसा आया था कि सिंगर हताश होकर आत्महत्या करने वाले थे, लेकिन उनके जुनून और संकल्प ने उन्हें कदम पीछे खींचने पर मजबूर किया। आज कैलाश खेर उन गायकों में शुमार हैं, जो देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपने गायन का जादू बिखेर रहे हैं। आज 7 जुलाई को गायक अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस खुशी के अवसर पर हम आपको उनके जीवन के संघर्षों से रूबरू करवाएंगे, जो हमारे और आपके लिए एक प्रेरणास्रोत की तरह है। चलिए जानते हैं।

    14 साल की उम्र में छोड़ा घर

    कैलाश खेर का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में 7 जुलाई 1973 को हुआ था। गायक का संगीत के प्रति गहरा लगाव था। उन्होंने मात्र 14 साल की उम्र में परिवार वालों से लड़कर घर छोड़ दिया और अपने सपनों को पाने की जद्दोजहद में वो मेरठ से दिल्ली आ गए। कैलाश खेर भारतीय लोक संगीत और सूफी संगीत से काफी प्रभावित हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वो शास्त्रीय संगीतकार कुमार गंधर्व, भीमसेन जोशी, हृदयनाथ मंगेशकर और नुसरत फतेह अली खान से प्रेरित हैं।

    आत्महत्या करने का किया प्रयास

    दिल्ली आने के बाद कैलाश खेर का असली संघर्ष शुरू हुआ, क्योंकि वहां वो सबसे अनजान थे। जीवन-यापन करने के लिए गायक ने एक्सपोर्ट का बिजनेस शुरू किया, जिसमें भारी नुकसान हुआ। इस वजह से वो परेशान होकर ऋषिकेश चले गए और संत बनने का प्रयास किया। जिंदगी से हताश होकर उन्होंने गंगा नदी में कूदकर अपनी जिंदगी को खत्म करने का मन बनाया, लेकिन ईश्वर को कुछ और मंजूर था और उन्हें एक व्यक्ति ने बचा लिया। हालांकि, आपको बताते चलें कि ये बातें गायक ने एक इंटरव्यू के दौरान बताई थी। 

    मुंबई ने बदली किस्मत 

    दिल्ली में रहने के दौरान कैलाश खेर के कुछ दोस्त बने, जो सिनेमा से जुड़े थे। इसके बाद वो मुंबई आ गए और यहां भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। संगीत में काम पाने के लिए कैलाश खेर ने कई स्टूडियोज के चक्कर काटे, लेकिन उन्हें काम नहीं मिलता था। गायक पेट भरने के लिए बड़ा पाव और चाय पीकर काम चलाते थे। इसके बाद उनके दिल्ली के एक दोस्त ने उन्हें म्यूजिशियन राम समपथ से मिलवाया जो विज्ञापनों के जिंगल्स तैयार कराते थे। फिर गायक ने जिंगल्स गाने शुरू किए। इसके बाद गायक ने करीब 300 से ज्यादा जिंगल्स गाए, जिनमें ‘पेप्सी’, ‘कोलगेट’, ‘सियाग्राम’, 'आईपीएल' जैसे ब्रांड्स शामिल रहे।

    ‘रब्बा इश्क ना होवे’ ने दिलाई पहचान

    कड़े संघर्ष के बाद कैलाश खेर को साल 2003 में आई फिल्म 'अंदाज' में गाने का मौका मिला। ‘रब्बा इश्क ना होवे’ गाने ने उन्हें संगीत की दुनिया में पहचान दिलाई। यह गाना हिट हुआ था। इसके बाद उन्होंन कई मशूहर गाने गाए, जिनमें 'अल्लाह के बंदे', 'तेरी दीवानी' जैसे गानें शामिल हैं। 

    18 भाषाओं में गाया गाना

    कैलाश खेर अबतक 18 भाषाओं में गानें गा चुके हैं। गायक ने 300 से अधिक गाने सिर्फ बॉलीवुड में गाए हैं। वहीं उन्होंने कई म्यूजिक रियलटी शोज में भी बतौर जज शामिल हो चुके हैं, जिनमें ‘इंडियन आइडल 4’, ‘रॉक ऑन’, जैसे शोज रहे हैं। इसके अलावा सिंगर ने साल 2009 में शीतल खेर से शादी कर ली। उनका एक बेटा भी है, जिसका नाम कबीर खेर है।

    पुरस्कार और सम्मान

    कैलाश खेर को उनकी गायकी के लिए दर्जनों अवॉर्ड मिल चुके हैं। साल 2017 में गायक को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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