नई दिल्ली: भारतीय टीम के अनुभवी बल्लेबाज करुण नायर वेस्टइंडीज के खिलाफ अगले महीने होने वाली दो मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए टीम में जगह बरकरार नहीं रख सके हैं। करुण ने इंग्लैंड दौरे से आठ साल बाद टीम में वापसी की थी, लेकिन अगली ही सीरीज में उन्हें बाहर बैठा दिया गया। अब इसे लेकर करुण नायर ने चुप्पी तोड़ी है और कहा है कि इसका जवाब सिर्फ चयनकर्ता ही दे सकते हैं।
गिल की कप्तानी में उतरेगी टीम
वेस्टइंडीज के खिलाफ अगले महीने होने वाली दो मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए गुरुवार को भारतीय टीम का एलान हो गया है। भारतीय टीम इस सीरीज में शुभमन गिल की कप्तानी में खेलने उतरेगी, जबकि रवींद्र जडेजा को उपकप्तान बनाया गया है। भारत और वेस्टइंडीज के बीच दो अक्तूबर को दो मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जाएगा। इस सीरीज के लिए करुण की जगह चयनकर्ताओं ने देवदत्त पडिक्कल को मौका दिया है।
इंग्लैंड दौरे पर मौके का फायदा नहीं उठा पाए थे करुण
करुण इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके थे। इंग्लैंड के खिलाफ ओवल पर आखिरी टेस्ट में अर्धशतक जमाने वाले करुण ने सभी पारियों में अच्छी शुरुआत की। वह खराब फॉर्म में नहीं थे लेकिन ज्यादा रन नहीं बना सके। करुण ने चार मैचों में 25.62 के औसत से 205 रन बनाए थे। यही कारण है कि उन्हें वेस्टइंडीज सीरीज के लिए नहीं चुना गया।
टीम के एलान के बाद करुण ने एक समाचार पत्र से बात करते हुए कहा, मैं चयन नहीं करता और मुझे नहीं पता कि इस वक्त क्या कहूं। कोई शब्द नहीं है, मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता और मेरे लिए इसका जवाब देना मुश्किल है। आपको इस बारे में चयनकर्ता से पूछना चाहिए कि वे क्या सोच रहे हैं। बस यही कह सकता हूं कि मैंने अंतिम टेस्ट में अर्धशतक लगाया था और उस वक्त पहली पारी में कोई ऐसा नहीं कर सका था। मुझे लगता है कि मैंने टीम के लिए योगदान दिया, विशेषकर आखिरी मैच में जिसमें हम जीत दर्ज करने में सफल रहे। लेकिन हां, ये तो है ही। ये बातें मायने नहीं रखतीं।
अगरकर ने बताया था कारण
करुण को बाहर करने पर मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर का बयान भी सामने आया था। उन्होंने कहा था, ईमानदारी से कहूं तो हमें करुण से ज्यादा की अपेक्षा थी। उन्होंने चार टेस्ट मैच खेले, लेकिन हम एक पारी की बात कर रहे हैं। हमें लगता है कि इस वक्त पडिक्कल ज्यादा बेहतर होंगे और काश कि हम सबको 15 या 20 टेस्ट खेलने का मौका दे पाते। दुर्भाग्य से यह उस तरह से काम नहीं करता।