More

    कभी था मार्बल का गढ़, अब ग्रेनाइट की चमक: किशनगढ़ के बाजार में क्यों हुआ उलटफेर?

    Rajasthan : एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी किशनगढ़ में अब मार्बल पर ग्रेनाइट भारी पड़ने लगा है। हालात यह है कि ग्रेनाइट पत्थर मार्बल के 80 प्रतिशत कारोबार पर कब्जा कर चुका है। हालांकि मार्बल की अपनी खासियत के चलते मंडी में इसकी मौजूदगी है। किशनगढ़ मार्बल मंडी में पिछले कुछ वर्षों में ग्रेनाइट की डिमांड दिनों-दिन बढ़ रही है। मार्बल मंडी में वर्तमान में प्रतिदिन 20 करोड़ के कारोबार में से 16 करोड़ का कारोबार ग्रेनाइट का है।

    साल-दर-साल कारोबार

    रोज 20 करोड़ का कारोबार में से 80 प्रतिशत ग्रेनाइट और 20 प्रतिशत मार्बल का कारोबार हो रहा है।

    मार्बल में इस कारण से हुई रूचि कम

    1- जीएसटी जैसे उच्च करों के कारण लागत खर्च में बढ़ोतरी।
    2- खदानों के बंद होने व अन्य कारणों से मार्बल का उत्पादन कम होना।
    3- उत्पादन लागत में बढ़ोतरी एवं मार्केट में आपूर्ति कम होना।
    4- ग्रेनाइट व टाइल्स जैसे विकल्प की उपलब्धता।

    ग्रेनाइट कारोबार बढ़ने की वजह

    1- प्राकृतिक सुंदरता एवं स्थायित्व।
    2- मार्बल से सस्ती दरों में उपलब्ध।
    3- 300 से अधिक कलर और वैरायटी।
    4- रेडी टू यूज।

    ग्रेनाइट पत्थर की लागत कम

    मार्बल की तुलना में ग्रेनाइट पत्थर की लागत कम आती है। ग्रेनाइट कई पैर्टन और कलर्स में उपलब्ध है और रेडी टू यूज है। लोगों का रुझान ग्रेनाइट पत्थर की तरफ अधिक है।
    सुधीर जैन, अध्यक्ष, किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन

    दोनों की कीमतों में फर्क

    मार्बल – मार्बल पत्थर 70 से 130 रुपए वर्ग फीट या इससे भी अधिक कीमतों पर बिक्री होता है। मोटाई में 13 एमएम की थप्पी तैयार की जाती है।
    ग्रेनाइट – ग्रेनाइट पत्थर 55 रुपए से 75 रुपए वर्ग फीट या इससे अधिक में बिक्री होता है। मोटाई में 16 एमएम की थप्पी तैयार की जाती है।

    Latest news

    Related news

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here