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    टापू बना बड़वानी में कुकरा गांव, 67 जिंदगियां घरों में कैद, खतरे में जान

    बड़वानी: नर्मदा नदी के ऊपरी क्षेत्रों में हो रही लगातार भारी बारिश के बाद डैम से छोड़े जा रहे पानी के कारण नर्मदा नदी ने विकराल रूप अख्तियार कर लिया है. शहर से 5 किमी दूर स्थित नर्मदा तट राजघाट ककुरा गांव में मां नर्मदा का विहंगम दृश्य देखने को मिल रहा है. यहां चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा है. हर साल की तरह इस साल भी ककुरा गांव पूरी तरह से टापू में तब्दील हो चुका है. सड़कें जलमग्न हो गई हैं, ग्रामीण नाव के जरिए गांव से बाहर आते जाते हैं.

    4 महीने के लिए गांव बन जाता है टापू

    इलाके में हालात ऐसे हो गए हैं कि नर्मदा नदी ने अपने दायरे में घाट, मंदिर और पुल पुलियों को ले लिया है. शहर से ककुरा गांव की ओर जाने वाले मार्ग पर पानी भर गया है. वहीं टापू बने गांव में करीब 17 परिवार रहते हैं, जिनमें 67 लोग होंगे. ये सभी लोग पूरी तरह से कैद हो गए हैं. गांव से न तो कोई आसानी से बाहर जा सकता है, ना ही कोई गांव में आ सकता है. यह परेशानी आज की नहीं है. बीते 5-6 साल से यह गांव बारिश के दिनों में टापू बन जाता है. जरूरी काम के लिए ग्रामीण नाव के मदद से गांव से बाहर निकल पाते हैं.

     

    मजबूरी में रहने को मजबूर हैं ग्रामीण

    ककुरा गांव के मुखिया देवेंद्र सोलंकी ने बताया, "हमारा गांव सरदार सरोवर डैम के डूब क्षेत्र में आया है. बारिश के दिनों में जब बांध में पानी लबालब भर जाता है, तो हमारा गांव टापू बन जाता है और शहर से पूरी तरह से कट जाता है. गांव के सभी लोग मजबूरी में यहां रहने को मजबूर हैं. सरकार द्वारा पुनर्वास स्थल पर मूलभूत सुविधाओं सहित मवेशियों के लिए चारे आदि की व्यवस्था नहीं कराई गई थी, जिसकी वजह से हम लोग वापस अपने गांव में आकर रहने लगे."

     

    2019 से जस की तस बनी हुई है समस्या

    देवेंद्र सोलंकी का आरोप है कि "प्रशासन द्वारा नाव की सुविधा को भी खत्म कर दिया गया है. सरकार हमे यहां से निकालने के लिए परेशान कर रही है. साल 2019 से ककुरा गांव के ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर रह रहे हैं. जब तक हमें उचित मुआवजा और रहने के लिए सही से व्यवस्था नहीं कराई जाएगी, तब तक हम यहीं रहेंगे. सरकार द्वारा पुनर्वास के लिए गुजरात के कच्छ में जो जमीन दी गई है, वह बंजर और खारी है."

    ग्रामीणों की ये हैं मांगें

    1. सरदार सरोवर बांध का जलस्तर अधिकतम 122 मीटर तक ही रखा जाए.
    2. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार उन्हें पूरा मुआवजा दिया जाए.
    3. जमीन के बदले जमीन और घर निर्माण की सहायता राशि दी जाए.
    4. जब तक सरकार मांगें पूरी नहीं करती, हम गांव नहीं छोड़ेंगे. चाहे हालात जैसे भी हों.

    डैमों से लगातार छोड़ा जा रहा पानी

    प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते नदी नाले उफान पर चल रहे हैं. डैमों से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. इसका असर यह है कि नर्मदा नदी खतरे के निशान से कई मीटर ऊपर बह रही है. इस कारण इंदिरा सागर डैम, बरगी और तवा डैम के पूरे बारिश के सीजन में कई गेट खोलने पड़े. वहीं डैम के नजदीकी इलाकों में बसे गांव में बाढ़ जैसे हालत बने हुए हैं. बड़वानी जिले के करीब 63 गांव नर्मदा से डूब प्रभावित हैं.

     

    मुआवजा दिलाया जाएगा

    नर्मदा प्राधिकरण अधिकारी एसएस चोंगड का कहना है कि "साल 2019 में जब 138.68 सरदार सरोवर डैम भर गया था, तब पूरे कुकरा गांव को शिफ्ट कर दिया गया था. उनके मुखिया को गुजरात में 2 हेक्टेयर की जमीन मुआवजा सब दे दिया गया था. वहां पर उनके कुछ बच्चे रहते हैं. इसके अलावा जिन लोगों को मुआवजा नहीं मिला है, उनकी मांग को भी मुआवजा दिया जाएगा."

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