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    पैसे के अभाव में नहीं जाएगी जान, मध्य प्रदेश के इस अस्पताल में इलाज का खर्च जीरो

    भोपाल: वर्तमान में सबसे कठिन काम खुद को स्वस्थ रखना है. लेकिन आप गलती से बीमार हो गए तो अस्पतालों का मोटा खर्च पहले ही आपकी जान ले लेगा. फिर आप यदि आर्थिक रुप से कमजोर हैं, तो आपके लिए ईलाज के पैसे जुटाना मुश्किल हो जाता है. कई बार लोगों को जमीन जायदा भी बेचनी पड़ जाती है. लेकिन मध्य प्रदेश में एक ऐसा भी अस्पताल हैं, जहां जीरो बिल नीति लागू किया गया है. यानि कि आप कोई भी ईलाज कराएं, पंजीयन से लेकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने तक एक रुपये भी खर्च नहीं करना पड़ेगा. यहां पूरा ईलाज और जाचें निशुल्क होंगी.

    आईसीएमआर की मंजूरी के बाद प्रभारी निदेशक ने लिया निर्णय

    गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले मरीजों को भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में उपचार कराने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा. बीपीएल कार्ड धारकों के साथ-साथ ऐसे मरीज जिनके पास गरीबी रेखा का कार्ड नहीं है, लेकिन वे निर्धन और असहाय हैं, उन्हें भी निशुल्क चिकित्सा सुविधा दी जाएगी. बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से अनुमति मिलने के बाद इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं.

    निशुल्क ईलाज के लिए बीपीएल कार्ड जरूरी नहीं

    डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने बताया "अब तक बीपीएल कार्ड धारकों से सिर्फ 10 रुपये पंजीयन शुल्क लिया जाता था और वार्ड में भर्ती पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता था, लेकिन जांच, ऑपरेशन और अन्य चिकित्सकीय सेवाओं के लिए शुल्क लिया जाता था. अब बीपीएल मरीजों को सभी चिकित्सकीय सेवाएं पूर्णतः निशुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी."

     

    उन्होंने बताया "यदि कोई मरीज बीपीएल कार्ड प्रस्तुत नहीं कर पाता, लेकिन वास्तविक रूप से निर्धन और असहाय है, तो उसकी स्थिति की जांच के बाद उसके इलाज पर आने वाला खर्च भी माफ किया जा सकता है. इसके लिए बीएमएचआरसी में एक मेडिकल सोशल वेलफेयर यूनिट गठित की जा रही है, जो ऐसे मरीजों को आयुष्मान भारत योजना सहित अन्य सरकारी योजनाओं से जोड़ने में सहायता करेगी."

    असहाय मरीजों के लिए बनाया जाएगा पेशंट वेलफेयर फंड

    आपात स्थिति में आने वाले किसी भी मरीज को तत्काल प्राथमिक उपचार दिया जाएगा और पहले 24 घंटे का इलाज या भर्ती से पूर्व तक की सभी सेवाएं भी पूर्णतः निशुल्क रहेंगी. अगर मरीज अकेला है या परिजन नहीं हैं, तो भी उसे चिकित्सा से वंचित नहीं किया जाएगा. निर्धन और असहाय मरीजों के इलाज में सहायक बनने हेतु पेशेंट वेलफेयर फंड का गठन किया जाएगा.

    जिसमें कॉर्पाेरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर), जन सहयोग और दान से राशि एकत्र कर उनका उपचार किया जा सकेगा. डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि इस दिशा में एक विस्तृत नीति व गाइडलाइन तैयार की जा रही है, ताकि यह व्यवस्था सुचारू रूप से लागू की जा सके और जरूरतमंद मरीजों को तत्काल राहत दी जा सके.

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