12 जून को अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया विमान हादसे में लापता हुईं मेडिकल कॉलेज हॉस्टल की रसोइया सरलाबेन ठाकोर और उनकी दो वर्षीय पोती आद्या की मौत की पुष्टि डीएनए जांच के जरिए हो गई है. शुक्रवार को उनके पार्थिव अवशेष अहमदाबाद सिविल अस्पताल से उनके परिजनों को सौंप दिए गए. इस हादसे में उनके मारे जाने की पुष्टि होते ही इलाके में शोक की लहर दौड़ गई.
52 वर्षीय सरलाबेन ठाकोर पिछले 15 वर्षों से बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्रावास परिसर के मेस में रसोइया के तौर पर काम कर रही थीं. हादसे के दिन भी वे अपनी पोती आद्या के साथ मेस में ही मौजूद थीं, जबकि उनका बेटा रवि ठाकोर और बहू ललिता, जो दोनों भी मेस में काम करते हैं, डॉक्टरों के लिए भोजन का टिफिन देने सिविल अस्पताल गए हुए थे.
रवि ठाकोर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, हम दोपहर करीब 1 बजे मेस से निकले थे. लगभग 1:40 बजे हमें खबर मिली कि एक विमान मेस और हॉस्टल की इमारत पर गिरा है. जब हम भागकर पहुंचे, तो सब कुछ जल रहा था और मेरी मां और बेटी लापता थीं.
डीएनए जांच से हुआ खुलासा
दुर्घटना के बाद घटनास्थल से कई शव क्षत-विक्षत स्थिति में बरामद हुए थे, जिससे मृतकों की पहचान कर पाना बेहद कठिन हो गया था. परिजनों ने लगातार सरलाबेन और आद्या की तलाश की, लेकिन कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी. अंततः, डॉक्टरों की टीम ने घटनास्थल से मिले अवशेषों के डीएनए नमूने लिए और परिवार के सदस्यों के नमूनों से उनका मिलान किया गया.
करीब एक सप्ताह तक चले परीक्षण के बाद, 20 जून को डीएनए जांच की रिपोर्ट सामने आई, जिसमें पुष्टि हुई कि मृतकों में सरलाबेन ठाकोर और उनकी पोती आद्या भी शामिल हैं. इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने दोनों के पार्थिव अवशेष परिजनों को सौंप दिए, जिसके बाद उसी दिन उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
दादी के साथ पोती की भी हुई मौत
रवि ठाकोर ने बताया कि उनकी मां सरलाबेन पिछले डेढ़ दशक से मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के छात्रों के लिए खाना बना रही थीं और हमेशा अपने काम को निष्ठा से करती थीं. आद्या परिवार की सबसे छोटी सदस्य थी और अक्सर अपनी दादी के साथ मेस में समय बिताती थी.
12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुआ एअर इंडिया का एक विमान तकनीकी खराबी के कारण उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मेडिकल कॉलेज परिसर के हॉस्टल और मेस से टकरा गया था. इस दुर्घटना में दर्जनों लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए.