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    कृत्रिम गर्भाधान में धोखाधड़ी का सनसनीखेज मामला, अलीगढ़ में नकली सीमेन बेचने वालों के खिलाफ मुकदमा

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पहली बार नकली पशु सीमेन की बिक्री का खुलासा हुआ है। यह मामला अलीगढ़ में तब पकड़ में आया जब सीमेन बनाने वाली कंपनी ने ही अपने स्तर से जांच की। सुबूत जुटाए कि उसे ही ब्रांड के नाम से कोई और सीमेन बनाकर बाजार में बेच रहा है। कंपनी ने इसकी शिकायत थाने से लेकर पशुपालन विभाग के अधिकारियों और डीएम से की। इस पर अलीगढ़ के थाना गोधा में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। अब पुलिस नकली सीमेन के कारोबार से जुड़े गिरोह की तलाश कर रही है। वहीं पशुपालन विभाग ने भी सभी जिलों में जांच शुरू कर दी है।

    पशु सीमेन का उपयोग पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जाता है। कृत्रिम गर्भाधान से पशुधन के प्रसार, नस्ल सुधार, रोगों का प्रसार रोकने के लिए किया जाता है। वहीं सेक्स शॉर्टेड सीमेन का उपयोग विशेष लिंग (बछिया या बछड़ा) की जन्म दर बढ़ाने के लिए किया जाता है। केंद्र और प्रदेश सरकारें इसीलिए कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा दे रही हैं। सरकार की आर्थिक मदद से कृत्रिम गर्भाधान का अभियान भी चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत पशुओं का मुफ्त कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है।
      
    क्या है कानून?
    कंपनियां खुले बाजार में भी ये सीमेन बेचती हैं। इनसे निजी लोगों के अलावा पशुधन विकास परिषद भी खरीद करती है। पशुधन विकास परिषद के माध्यम से ही अभियान के लिए मुफ्त सीमेन दिया जाता है। इसकी खरीद और बिक्री के लिए 2009 में केंद्र सरकार ने एक कानून बनाया था। इसके तहत लाइसेंस प्राप्त कंपनी से ही खरीद की जाती है। कंपनी को इस सीमेन का पूरा ब्योरा दर्ज करना होता है कि कब, कहां बनाया और किस सांड़ का सीमेन है। यदि नकली सीमेन बेचा जाए तो उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई का प्रावधान है।

    ऐसे खुला मामला
    बदायूं में नकली सीमेन के मामले की कई शिकायतें इसे बनाने वाली कंपनी एनिमल ब्रीडिंग रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन इंडिया को मिलीं कि उनके ब्रांड सुपीरियर एनिमल जेनेटिक्स नकली बिक रहा है। खासतौर से अलीगढ़, बुलंदशहर सहित कुछ जिलों से ऐसी शिकायतें आईं। इस पर कंपनी ने अपनी टीमें जांच के लिए भेजीं। कंपनी अपनी हर सीमेन ट्यूब पर विशेष यूनिक कोड प्रिंट करती है। साथ ही ऐसी फ्लोरोसेंट सीमेन ट्यूब का इस्तेमाल करती है जो विशेष टॉर्च की रोशनी में चमकती है।

    टीमों को पता चला कि बुलंदशहर के नारायणपुर गांव में कृत्रिम गर्भाधान टेक्निशन मुनेश प्रताप सिंह के पास से नकली सीमेन की खुराकें मिलीं, लेकिन मुनेश को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वो नकली हैं। मुनेश ने लिखित बयान दिया कि उन्होंने यह सीमेन अलीगढ़ के मैमडी गांव के रिंकू सिंह से खरीदा। रिंकू सिंह ने पहले तो जिम्मेदारी लेने से इनकार किया लेकिन बाद में अतरौली थाने पर लिखित बयान दिया। उसके बाद कंपनी ने थाने के अलावा पशुपालन विभाग के अधिकारियों और डीएम को शिकायत की। उनके इन शिकायती पत्रों के आधार पर अलीगढ़ के गोधा थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। कंपनी ने इस गिरोह के अन्य सदस्यों का पता लगाने के लिए जांच की मांग की है। पशुधन विकास परिषद के सीईओ का एक पत्र भी कंपनी ने लगाया है। उसमें बोर्ड ने माना है कि 50 फीसदी सीमेन की आपूर्ति गैर ग्रेडेड या गैर संस्थागत स्रोतों से हो रही है।

    बड़ी कार्रवाई की तैयारी
    निदेशक रोग नियंत्रण डॉ. राजीव कुमार सक्सेना ने कहा, हमने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों से भी जानकारी मांगी है कि वे जो सीमेन इस्तेमाल कर रहे हैं, उसका स्रोत क्या है? कहां से खरीदा और और उस पर सभी जरूरी ब्योरा दर्ज है या नहीं? साथ ही नकली सीमेन के बारे में भी पता लगाया जा रहा है।

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