गाजियाबाद: साइबर ठगों ने रक्षा मंत्रालय के रिटायर्ड अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट कर 34 लाख 90 हजार रुपये ठग लिए। ठग ने टेलीकॉम कंपनी का प्रतिनिधि बनकर कॉल किया और कहा कि उनके आईडी कार्ड का फर्जी सिम कार्ड, मनी लॉन्डिंग और अन्य गैरकानूनी कामों में इस्तेमाल हो रहा है। इसके बाद कॉल पर ही मुंबई पुलिस से संपर्क कराने के नाम पर जांच व सत्यापन के नाम पर रकम ट्रांसफर करा ली। इसके बाद उन्होंने साइबर अपराध थाने में केस दर्ज कराया है। शातिरों ने उन्हें 15 दिनों तक घर में बंदी बनाकर रखा और हर घंटों में उनकी लोकेशन लेते रहे। रिटायर्ड अधिकारी ने बताया कि 21 अगस्त को एक कॉल आई। कॉलर आरुषि अग्रवाल ने खुद को गुरुग्राम एयरटेल कंपनी से बताया। उसने बताया कि 21 जुलाई को उनकी आधार आईडी का दुरुपयोग करके मुंबई के पते पर एक नंबर लिया गया है।
मुंबई पुलिस का नाम लेकर डराया
इस नंबर का इस्तेमाल ऑनलाइन बैटिंग, ब्लैकमेलिंग, मनी लॉन्डिंग आदि में किया जा रहा है। इसके बाद उनसे कहा कि जब तक मुंबई पुलिस से क्लियरेंस नहीं मिल जाएगा तब तक उनके सभी नंबर बंद रहेंगे। इसके बाद कॉलर ने आगे की प्रक्रिया के लिए मुंबई पुलिस से संपर्क कराया। उसने उनकी बात संजय सिंह नाम के व्यक्ति से कराई। उसने खुद को मुंबई पुलिस में एसआई बताया।
इसके बाद प्रवीण सूद से बात कराई, जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। उन्होंने इन सब से कोई लेना देना नहीं होने की बात कही तो उन्हें वॉट्सऐप पर एक मेसेज मिला, जिसमें उन्हें कई गतिविधियों में लिप्त बताया गया था। इसके साथ ही उन्हें कहीं भी आने-जाने के लिए मना किया और गोपनीयता बनाए रखने के लिए कहा गया। इसके बाद उन्हें व उनकी पत्नी को गिरफ्तार करने की धमकी दी। इसके बाद अगले दिन 22 अगस्त को उनके पास विडियो कॉल आई, जिसमें उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में प्राथमिक जांच के लिए कहा गया।
ठगी की रकम को किया फ्रीज
इस दौरान उनसे उनके निजी डॉक्यूमेंट्स के डिटेल लिए। इसके बाद रोज ही वीडियो कॉल आता रहा। 25 अगस्त को उनसे 37 लाख रुपये, बैंक का पूरा बैलेंस और एफडी देने के लिए कहा गया। इस पर उन्होंने 34.90 लाख रुपये निकालकर उनके कहे अनुसार, बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। एडीसीपी अपराध पीयूष सिंह ने कहा कि केस दर्ज कर लिया गया है। जांच के लिए टीम लगी है। ठगी गई रकम को भी फ्रीज कराने का प्रयास किया जा रहा है।