इंदौर: अपनी खास स्टाइल और आम लोगों की नब्ज पर पकड़ रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को इंदौर में खेतों में ट्रैक्टर चलाते नजर आए. शिवराज केंद्रीय कृषि मंत्री के नाते कृषकों से संवाद और फार्म रिसोर्स हब का शिलान्यास करने इंदौर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद परिसर में पहुंचे. शिवराज ने कहा "यहां कृषि वैज्ञानिकों से फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर गहन मंथन होगा."
3 राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ शिवराज की मीटिंग
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के कृषि मंत्री और सोयाबीन उत्पादक राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सोयाबीन के उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर मंथन कर रहे हैं. इस दौरान शिवराज ने सोयाबीन किसानों के साथ संवाद भी किया. बैठक के दौरान ‘खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन-तिलहन’ पर प्रस्तुतीकरण हुई. सोयाबीन के इतिहास, वर्तमान परिदृश्य, चुनौतियों और उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रयासों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया.
इंदौर में सोयाबीन के खेत में ट्रैक्टर चलाया
शिवराज सिंह चौहान ने कहा "देश में तिलहन फसलों में 34% योगदान सोयाबीन का है, लेकिन सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने के बजाय कम हुआ है. एलोमोजिक बीमारी के कारण फसल बर्बाद हो रही है. किसान कीटनाशक डाल डाल कर बर्बाद हो रहे हैं. इसलिए उत्पादन कैसे बढ़ाएं, सोयाबीन की लागत को कैसे घटाएं, इस पर मंथन कियागया. क्योंकि देश में 132000 करोड़ का तेल विदेश से आयात करना पड़ रहा है. इसलिए किसानों के साथ बैठकर रास्ता निकलने का प्रयास कर रहे हैं."
सोयाबीन उत्पादन में देश आत्मनिर्भर होगा
सोयाबीन उत्पादन में देश आत्मनिर्भर कैसे हो सके, इस पर मंथन हुआ. इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा), सोया खाद्य उद्योग, तेल उद्योग, बीज उत्पादकों, किसान उत्पादक संगठनों, राज्यों और केंद्र के कृषि विभाग, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति/निदेशक अनुसंधान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डीडब्ल्यूआर, आईसीएआर के सीआईएई के निदेशकों से भी विस्तार से चर्चा की है.
दलहन और तिलहन की पैदावार भी बढ़ाएंगे
उन्होंने कहा ‘लैब टू लैंड’ जोड़ने के लिए हाल ही में चलाए गए 15 दिवसीय ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के बाद लगातार कृषि क्षेत्र में किसानों तक बेहतर जानकारी पहुंचाने और उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं. अभियान के अनुभवों को ही आगे बढ़ाते हुए प्रमुख फसलों पर विशेष बैठकों के आयोजन का निर्णय लिया गया है. आने वाले दिनों में भी प्रमुखता के आधार विभिन्न राज्यों में बैठकें आयोजित की जाएंगी. सोयाबीन के बाद दलहन, तिलहन, कपास, गन्ना व अन्य फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए भी फसलवार और राज्यवार बैठकें आयोजित होंगी.