सीतामढ़ी। अयोध्या की तर्ज पर मां जानकी जन्मस्थली पुनौराधाम के विकास से सीतामढ़ी पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित होगा। इससे यहां लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और आर्थिक समृद्धि आएगी। जगत जननी मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम में 13 दिसंबर, 2023 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास कार्यों का शिलान्यास किया था।
अयोध्या धाम की तरह मंदिर निर्माण एवं आसपास बेहतर पर्यटकीय सुविधाओं के विकास एवं आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पुनौराधाम मंदिर के विकास के लिए 72.47 करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि सरकार भूमि अधिग्रहण के लिए 120 करोड़ रुपये भी दे चुकी है।
डीएम रिची पांडेय के साथ बिहार पर्यटन विकास निगम के महाप्रबंधक अभिजीत कुमार, जिला भू अर्जन पदाधिकारी विनोद प्रसाद सिंह समेत कई अधिकारी भूमि अधिग्रहण के लिए पुनौराधाम का स्थल निरीक्षण कर चुके हैं। अब तक 89 लोगों का भूमि अर्जन किया जाएगा। इसे चिह्नित कर लिया गया है।
इस संबंध में डीएम कार्यालय द्वारा पर्यटन निदेशालय के निदेशक को भूमि अर्जन से संबंधित रिपोर्ट भेजी गई है। भेजी गई रिपोर्ट में भूमि का खाता नंबर, खेसरा नंबर, अर्जन की जाने वाली भूमि की चौहद्दी, भूमि का वर्गीकरण, खतियान व वर्तमान रैयत का नाम, जमाबंदी नंबर, आवासीय घर, व्यवसायिक भवन आदि का ब्योरा शामिल है।
पुनौराधाम जानकी मंदिर के आसपास 50 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करना है। वर्तमान में रामायण परिपथ के अंतर्गत अयोध्या आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक निश्चित रूप से जानकी की जन्मभूमि के दर्शन के लिए पुनौराधाम पहुंचते हैं। अयोध्या से पुनौराधाम जोड़ने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग भी बनाया जा रहा है।
सुविधा बेहतर होने के कारण पुनौराधाम में श्रद्धालु और पर्यटक अधिक संख्या में आएंगे। सीतामढ़ी-शिवहर-मोतिहारी नई रेल लाइन में पुनौराधाम स्टेशन बनाने को लेकर रेलवे के अधिकारी व अभियंताओं द्वारा भी हाल ही में स्थल निरीक्षण किया गया था। जगत जननी माता जानकी की पावन प्राकट्य भूमि पुनौराधाम लगातार विकास के पथ पर अग्रसर रहा है।
वर्ष 2006 से विशेष योजनाओं के माध्यम से शुरू विकास के रफ्तार का आलम रहा कि करोड़ों की लागत से तकरीबन आधा दर्जन भव्य भवनों का निर्माण कराया जा चुका हैं। जिसका उपयोग देश के कोने – कोने से माता सीता प्राकट्य भूमि का दर्शन व पूजन के लिए आने वाले पर्यटकों के ठहराव के लिए होता है। वहीं कुछ अतिथि भवनों का उपयोग जरूरतमंदों द्वारा शादी, उपनयन समेत अन्य अवसरों पर किया जाने लगा है।
जानकी नवमी के अवसर पर विगत करीब डेढ़ दशक से चित्रकूट के तुलसीपीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य श्री रामभद्राचार्य जी द्वारा नौ दिवसीय श्रीरामकथा का आयोजन होता आ रहा है। कथा निर्विघ्न सम्पन्न कराने को लेकर भव्य सीता प्रेक्षागृह का निर्माण कराया गया है, जबकि इन भवनों के निर्माण से पूर्व माता सीता प्राकट्य भूमि पुनौराधाम को आकर्षक बनाने के उद्देश्य से मन्दिर के पश्चमी भाग में लाखों की लागत से दो मनोहारी फब्बारा का निर्माण कराया गया।
जिसमें एक सामान्य तो दूसरा म्यूजिकल अत्याधुनिक फब्बारा लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। हालांकि समुचित देखभाल नहीं किए जाने के कारण वर्तमान में दोनों की स्थिति बेहतर नहीं है। सीता कुंड को आकर्षक व मनोहारी बनाने को लेकर कुंड के चारो तरफ पैदल पथ का निर्माण कराया गया। सरकारी कोष से विद्युत सजाबट भी कराई गई है।
कुछ हाई मास्क लाइट लगाया गया हैं। सीता कुंड के समीप अवस्थित सीता उद्यान का भी समय – समय पर उद्धार की बात होती रही, परंतु बाजिब विकास अब तक नहीं कराया जा सका हैं। अयोध्या धाम की तरह मंदिर निर्माण एवं आसपास बेहतर पर्यटकीय सुविधाओं के विकास एवं आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज हो गई है। श्रद्धालु और पर्यटक अधिक संख्या में आएंगे।
जिले वासियों में सरकार की घोषणा से उत्साह हैं। पर्यटन का विकास के साथ ही रोजगार की अपार संभावनाओं के द्वार भी खुलेंगे। वर्तमान में रामायण सर्किट के अंतर्गत अयोध्या आने वाले श्रद्धालु जानकी जन्मस्थली पुनौराधाम भी आएंगे। अयोध्या से पुनौराधाम को जोड़ने के लिए रामजानकी पथ का निर्माण भी कराया जा रहा है। सुविधा बेहतर होने से श्रद्धालु व पर्यटक अधिक संख्या में आएंगे।