More
    Homeराजनीतिउद्धव की SC से मांग, निकाय चुनाव से पहले हो चुनाव चिह्न...

    उद्धव की SC से मांग, निकाय चुनाव से पहले हो चुनाव चिह्न का निपटारा, 12 नवंबर को होगी सुनवाई

    मुंबई । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष (Maharashtra Legislative Assembly Speaker) द्वारा एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाले शिवसेना (Shiv Sena) के गुट को ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न देने के फैसले के खिलाफ दायर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े की याचिका पर सुनवाई के लिए बुधवार को 12 नवंबर की तारीख तय की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि याचिका पर सुनवाई 12 नवंबर से शुरू होगी और जरूरत पड़ी तो 13 नवंबर को भी जारी रहेगी।

    ठाकरे गुट ने अदालत से अनुरोध किया है कि इस मामले की सुनवाई जनवरी 2026 में होने वाले महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों से पहले की जाए, ताकि विवाद का समाधान हो सके। शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (उबाठा) की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव अगले साल जनवरी में होने की संभावना है और इसलिए इस मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है।

    उन्होंने कहा कि अदालत स्थानीय निकाय चुनावों से पहले इस मामले की अंतिम सुनवाई कर सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘हम 12 नवंबर को सभी पक्षों की दलीलें सुनेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो हम 13 नवंबर को सुनवाई जारी रख सकते हैं।’’ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और नीरज किशन कौल पेश हुए।

    इससे पहले 14 जुलाई को शीर्ष अदालत ने मामले की अंतिम सुनवाई तय करते हुए कहा था कि यह मुद्दा काफी समय से लंबित है और अनिश्चितता को जारी रहने नहीं दिया जा सकता। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट ने पहले कहा था कि 2023 में विधायी बहुमत के आधार पर पार्टी का चुनाव चिह्न प्रतिद्वंद्वी गुट को सौंपने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के फैसले के विपरीत है।

    उसने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था जिसके बाद शीर्ष अदालत ने सात मई को ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट से स्थानीय निकाय चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा था। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने 10 जनवरी, 2024 को शिंदे सहित सत्तारूढ़ खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की शिवसेना (उबाठा) की याचिका खारिज कर दी थी।

    विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पारित आदेशों को शीर्ष अदालत में चुनौती देते हुए ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट ने दावा किया था कि वे ‘‘स्पष्ट रूप से गैरकानूनी और प्रतिकूल’’ हैं और दलबदल करने वालों को दंडित करने के बजाय, उन्होंने दलबदलुओं को यह कहकर पुरस्कृत किया कि वे असली राजनीतिक दल हैं।

    याचिका में दावा किया गया कि विधानसभा अध्यक्ष ने शिवसेना के बहुमत वाले विधायकों को शिवसेना राजनीतिक दल की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने वाला मानकर गलती की। अयोग्यता याचिकाओं पर अपने फैसले में, विधानसभा अध्यक्ष ने दोनों प्रतिद्वंद्वी खेमों के किसी भी विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया था।

    अध्यक्ष के फैसले ने ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व करने के 18 महीने बाद, तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में शिंदे की स्थिति को और मजबूत कर दिया तथा 2024 के लोकसभा चुनावों और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन (जिसमें भारतीय जनता पार्टी और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी शामिल हैं) में उनकी राजनीतिक ताकत को और बढ़ा दिया।

    पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में शिंदे के नेतृत्व वाले गुट ने सात सीट जबकि विधानसभा चुनावों में 57 सीटें जीतीं, भाजपा ने 132 सीट जीतीं और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने 41 सीट जीतीं। देवेंद्र फडणवीस ने दिसंबर 2024 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में वापसी की जबकि शिंदे और पवार उपमुख्यमंत्री बने।

    latest articles

    explore more

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here