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    यूक्रेनी सांसद ने ट्रंप का नोबेल नामांकन वापस लिया, शांति का नोबेल जीतने का सपना टूटा?

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ‘नोबेल पीस प्राइज’ के लिए नामित करने वाले यूक्रेनी सांसद ने अपना नामांकन वापस ले लिया है. यूक्रेन की संसदीय विदेश समिति के प्रमुख ओलेक्सांद्र मेरेज़्को ने मंगलवार को न्यूजवीक से कहा कि उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच सीजफायर सुनिश्चित करने की उनकी क्षमता में किसी भी प्रकार का विश्वास और आस्था खो दी है.

    मेरेज़्को ने कहा कि हाल के सप्ताहों में यूक्रेनी राजधानी पर बड़े पैमाने पर हुए हमलों पर ट्रंप की कोई प्रतिक्रिया नहीं थी. उन्होंने तुष्टिकरण का रास्ता चुना है. ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को मात्र 24 घंटे में खत्म कराने का वादा किया था. मगर, रूस ने हाल के हफ्तों में यूक्रेन पर विनाशकारी हमले जारी रखे हैं. इतना ही नहीं सीजफायर समझौते पर पहुंचने की कोशिशें भी थमी हुई हैं.

    पाकिस्तान के भी सुर बदले

    इतना ही नहीं ईरान के 3 प्रमुख परमाणु केंद्रों फोर्दो, इस्फहान और नतांज पर अमेरिका द्वारा हाल ही में किए गए हमलों के बाद पाकिस्तान के भी सुर बदले हैं. पाकिस्तान में राजनीतिक हलकों और प्रमुख हस्तियों के बीच राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कई नेताओं ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है.

    पाकिस्तानी सरकार ने शुक्रवार को एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए कहा था कि वह भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान शांति प्रयासों के मद्देनज़र ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करेगी. विदेश मंत्री इशाक डार के साइन वाला अनुशंसा-पत्र नोबेल समिति को भेजा जा चुका है. हालांकि अमेरिकी हमलों के बाद इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं.

    तत्काल वापस लेनी चाहिए सिफारिश

    जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, राष्ट्रपति ट्रंप का शांति का दावा अब झूठा साबित हो चुका है. सरकार को नोबेल नामांकन की सिफारिश तत्काल वापस लेनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी नेतृत्व ट्रंप की सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से हालिया मुलाकात और डिनर से अत्यधिक प्रभावित होकर यह फैसला ले बैठा.

    फजल ने सवाल उठाया, जो नेता फलस्तीन, सीरिया, लेबनान और अब ईरान पर इजराइल समर्थित हमलों का समर्थन करता हो, वह शांति का प्रतीक कैसे हो सकता है? पूर्व सीनेटर और विदेश नीति विश्लेषक मुशाहिद हुसैन सैयद ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ट्रंप अब संभावित शांतिदूत नहीं, बल्कि युद्ध भड़काने वाले बन गए हैं. सरकार को इस अनुशंसा को तत्काल रद्द कर देना चाहिए.

    सबसे बड़ी भूल कर रहे हैं ट्रंप

    उन्होंने आरोप लगाया था कि ट्रंप इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और युद्ध लॉबी के प्रभाव में आकर अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी भूल कर रहे हैं. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सांसद अली मुहम्मद खान ने भी एक्स पर पुनर्विचार करें लिखते हुए अमेरिकी हमलों और गाजा में इजराइल द्वारा जारी हिंसा को लेकर अमेरिका की भूमिका की आलोचना की. पीटीआई ने इन हमलों को बिना उकसावे के आक्रामक कार्रवाई बताया और ईरान की संप्रभुता के समर्थन में आवाज उठाई.

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