More

    लखनऊ मेट्रो निर्माण के साथ शहर का ट्रैफिक नहीं होगा प्रभावित, चौराहों से हटकर बनाए जाएंगे सभी प्रमुख स्टेशन

    लखनऊ: चारबाग से वसंतकुंज तक मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का निर्माण जल्द शुरू होगा। इसका नाम ब्लू लाइन होगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है। यूपीएमआरसी ने ग्राउंड वर्क पहले ही पूरा कर लिया है। यह कॉरिडोर बनने से पुराने शहर के करीब दस लाख लोगों को फायदा होगा। इसके निर्माण की क्या कार्ययोजना है और घनी आबादी में मेट्रो स्टेशन कैसे बनेंगे, ऐसे तमाम बिंदुओं पर यूपीएमआरसी के एमडी सुशील कुमार ने एनबीटी के सवालों के जवाब दिए। पेश है, ज्ञानेश्वर चतुर्वेदी की रिपोर्ट….

    चारबाग से वसंतकुंज तक मेट्रो कब तक चलने लगेगी ?
    पांच साल में निर्माण कार्य पूरा करना है। कोशिश है कि इससे पहले मेट्रो चला दी जाए। मुंशीपुलिया से एयरपोर्ट कॉरिडोर का काम भी तय मियाद से एक महीने पहले पूरा कर लिया गया था। इस बार ग्राउंड वर्क पहले ही हो चुका है।

    ग्रांउड वर्क से क्या फायदा होगा?
    यूपीएमआरसी की टीम ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर पर सात महीने से काम कर रही है। पाइप लाइन से लेकर सभी बाधाओं का परीक्षण कर सॉइल टेस्टिंग भी करवा ली गई है। पूरे रूट को चार हिस्सों में बांटकर ट्रैफिक फ्लो और बॉटल नेक भी चिह्नित किए गए हैं। इससे निर्माण में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।

    फेज-1 ए और फेज 1 बी में क्या अंतर है?
    दोनों फेज में काफी फर्क है। मुंशीपुलिया से चारबाग तक एलिवेटेड स्टेशन ज्यादा थे, जबकि चारबाग से वसंतकुंज तक अंडरग्राउंड स्टेशन अधिक है। नए फेज में 18 रूट पर वनवे है। इसनें नौ वन-वे मेट्रो रूट पर है। यहां के लोगों को फायदा मिलेगा।

    ट्रैफिक मैनेजमेंट कैसे करेंगे?
    निर्माण के दौरान लोगों को दिक्कत न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। ट्रैफिक जाम से बचाव के लिए मेट्रो स्टेशनों को चौराहों से पांच से दस मीटर इधर-उधर बनाने का फैसला किया गया है। बैरिकेडिंग लगाकर काम किया जाएगा, ताकि ट्रैफिक सुचारू रूप से चलता रहे।

    क्या पुराने शहर में कुछ मकान शिफ्ट होगे ?
    किसी का कोई नुकसान नहीं होगा। स्पेन और इटली के विशेषज्ञों की देखरेख में अंडरग्राउंड स्टेशनों में आधुनिक मशीनों से काम होगा। न कोई मकान शिफ्ट होगा और न ही गिरने पाएगा।

    पुराने घर बचाने के लिए क्या करेंगे?
    अंडरग्राउंड स्टेशनों में टनल बोरिंग मशीन से काम होना है। इसका वाइब्रेशन सड़क से गुजरने वाले ट्रक से भी कम है। ऐसे में टीबीएन चलने से न तो किसी मकान में दरार आएगी और न नुकसान होगा। कोई दिक्कत दिखी तो स्ट्रेंथिंग करवाई जाएगी।

    मेट्रो स्टेशनों की क्या खासियत होगी ?
    घनी आबादी वाले मेट्रो स्टेशनों को 150 मीटर के भीतर ही बनाने की तैयारी है। स्टेशन के एंट्री और एग्जिट पॉइंट इतनी दूरी के बीच ही बनाए जाएंगे, ताकि लोगों को असुविधा न हो और यात्री भी आसानी से आ-जा सकें।

    एनसीआर की तर्ज पर क्या एससीआर के जिलों से भी मेट्रो जुड़ेगी ?
    मेट्रो का विस्तार उन इलाको में नहीं किया जा सकता, जहां घनी आबादी न हो। एससीआर के लिए रेलवे और अन्य विभागों के विकल्प है।

    क्या ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर बनने के बाद मेट्रो ऐंबुलेस की सुविधा रहेगी?
    मेट्रो का पीजीआई रूट बनने के बाद मेडिकल इमरजेसी में यह व्यवस्था मुहैया करवाई जा सकती है।

    ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर बनने से कितनी कनेक्विटी बढ़ेगी ?
    एयरपोर्ट से पुराने लखनऊ तक के लोगों को कनेक्विटी मिलेगी। केजीएमयू समेत कई अस्पताल और शिक्षण संस्थानों के लोगों को फायदा होगा। मौजूदा समय में मुंशीपुलिया से एयरपोर्ट तक रोज की राइडरशिप 82 हजार के आसपास है। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर बढ़ने के बाद राइडर्स की संख्या बढ़ेगी।

    मेट्रो स्टेशनों तक पहुंचने के लिए यात्रियोंं को क्या सुविधाएं मिलेगी ?
    नार्थ-ईस्ट कॉरिडोर पर रैपिडो और उबर के साथ एमओयू हुआ है। इसी तरह ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर पर भी यात्रियों को सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी।

    अब मेट्रो का अगला कॉरिडोर कौन सा होगा ?
    मौजूदा समय में लखनऊ में 100 से 125 किमी तक मेट्रो कनेक्टिविटी की जरूरत दिख रही है। कंप्रेस मोबिलिटी प्लान (सीएमपी) बनाकर शासन को भेजा गया है। इस पर काम चल रहा है। दो-तीन कॉरिडोर पहले बनाने का प्रस्ताव है।

    Latest news

    Related news

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here