खैरथल-तिजारा जिले का नाम “भर्तृहरि नगर” करने और मुख्यालय बदलने के विरोध में खैरथल के व्यापारियों ने अनिश्चितकालीन बाजार बंद का ऐलान किया। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से हुई चर्चा के बाद विरोध तेज़।
मिशनसच न्यूज, खैरथल।
जिले का नाम बदलकर “भर्तृहरि नगर” करने और जिला मुख्यालय को खैरथल से हटाए जाने की संभावनाओं ने खैरथल में विरोध की आग भड़का दी है। इसी कड़ी में शनिवार शाम को सब्ज़ी मंडी स्थित व्यापार महासंघ कार्यालय में व्यापारिक संगठनों की अहम बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता व्यापार महासंघ अध्यक्ष ओमप्रकाश रोघा ने की, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि रविवार से खैरथल में अनिश्चितकालीन बाजार बंद रहेगा।
बैठक में सर्वसम्मति से यह भी तय हुआ कि खैरथल की ऐतिहासिक और सामाजिक पहचान से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। व्यापारियों ने साफ कहा कि “खैरथल का नाम और उसकी पहचान बदलने का प्रयास क्षेत्र की जनता के साथ अन्याय है और इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।”
इससे पहले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली स्थित अपने निवास पर खैरथल के पत्रकारों और प्रबुद्धजनों से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद से खैरथल के लोगों में आशंका और असंतोष और अधिक गहराया है। लोगों का कहना है कि नाम बदलने और मुख्यालय खिसकाने के फैसले से खैरथल की वर्षों पुरानी पहचान मिट जाएगी।
बैठक में शामिल विभिन्न व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों ने सरकार से मांग की कि खैरथल का नाम और मुख्यालय से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले यहां की जनता की राय अवश्य ली जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी आवाज़ को अनसुना किया गया, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
बैठक में सर्वसम्मति से अनिश्चितकालीन बाजार बंद का निर्णय होते ही खैरथल में व्यापक चर्चा छिड़ गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कदम से सरकार पर दबाव बढ़ेगा और उनकी आवाज़ राज्य स्तर तक पहुंच पाएगी।
गौरतलब है कि हाल ही में राज्य सरकार की ओर से खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर “भर्तृहरि नगर” रखने का प्रस्ताव सामने आया था। साथ ही यह भी संभावना जताई जा रही है कि जिला मुख्यालय खैरथल से हटाकर किसी अन्य स्थान पर किया जा सकता है। इसी को लेकर खैरथल के व्यापारियों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों में नाराजगी व्याप्त है।
बैठक में व्यापारी महासंघ अध्यक्ष ओमप्रकाश रोघा ने कहा कि खैरथल का नाम बदलना और मुख्यालय हटाने की साजिश किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार इस निर्णय को वापस नहीं लेती, तब तक खैरथल में बाजार बंद आंदोलन जारी रहेगा।
इस दौरान अन्य वक्ताओं ने कहा कि खैरथल ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अपनी अलग पहचान रखता है। यहां की जनता ने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान किया है, लेकिन यदि उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की गई, तो संघर्ष और बड़ा होगा।
सम्मेलन में लगभग सभी प्रमुख व्यापारी संगठन, मंडी एसोसिएशन, और विभिन्न प्रतिष्ठान मालिक मौजूद रहे। उन्होंने एक स्वर में कहा कि अनिश्चितकालीन बाजार बंद से उन्हें आर्थिक नुकसान अवश्य होगा, लेकिन खैरथल की पहचान बचाने के लिए यह बलिदान छोटा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह आंदोलन केवल व्यापारियों का नहीं बल्कि पूरे खैरथल की जनता का है। आने वाले दिनों में इसमें किसान संगठन, सामाजिक संस्थाएं और आम नागरिक भी सक्रिय रूप से शामिल होंगे।
खैरथल में अनिश्चितकालीन बाजार बंद का ऐलान यह दर्शाता है कि स्थानीय जनता अपने जिले की पहचान और सम्मान से कोई समझौता करने को तैयार नहीं है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस बढ़ते विरोध और आक्रोश के बीच क्या रुख अपनाती है।