भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का अभिन्न अंग – योग

    🌿 विश्व योग दिवस 2025 विशेष लेख श्रृंखला – 4

    ✍️ डॉ. पवन सिंह शेखावत
    वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी अलवर

    🧘‍♀️ “करो योग, रहो निरोग!”


    🟢 अष्टांग योग का तीसरा चरण: आसन

    योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने की कला नहीं, बल्कि यह मन, बुद्धि और आत्मा को भी संतुलित करने का मार्ग है। अष्टांग योग के तीसरे चरण “आसन” के माध्यम से शरीर की स्थिरता और चित्त की एकाग्रता का अभ्यास किया जाता है।


    🔹 आसन की परिभाषा:

    “स्थिर और सुखद स्थिति को आसन कहा जाता है।”
    यह शब्द संस्कृत की ‘अस’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है – बैठने का स्थान या शारीरिक अवस्था।

    🔹 आसन के लाभ:

    • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार

    • चित्त की एकाग्रता और शांति

    • तनाव, अवसाद, और चिंता से राहत

    • शरीर की दृढ़ता और लचीलापन

    • आत्मा के उच्चतम स्तर तक पहुंचने की तैयारी


    🔹 मुख्य उद्देश्य:

    आसनों का प्रमुख उद्देश्य शरीर को शुद्ध कर मानसिक और आध्यात्मिक स्थिरता प्रदान करना है। स्वस्थ शरीर ही आत्मिक उन्नति का आधार होता है।


    🔹 आसन और व्यायाम में अंतर:

    • आसन शरीर की प्रकृति के अनुसार कार्य करता है, संतुलन और सुसंगति बनाए रखता है।

    • व्यायाम (जैसे जिम/अखाड़ा) मांसपेशियों पर बल देता है, जो कभी-कभी शरीर की प्रकृति को बिगाड़ सकता है।


    🔹 आसनों के भेद:

    1️⃣ बैठकर किए जाने वाले आसन:

    पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, पश्चिमोत्तानासन, उष्ट्रासन आदि।

    2️⃣ पीठ के बल लेटकर:

    शवासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, हलासन, नौकासन आदि।

    3️⃣ पेट के बल लेटकर:

    भुजंगासन, शलभासन, मकरासन, धनुरासन आदि।

    4️⃣ खड़े होकर किए जाने वाले:

    ताड़ासन, वृक्षासन, अर्धचंद्रासन, पादहस्तासन, चक्रासन आदि।

    5️⃣ विशेष आसन:

    शीर्षासन, मयूरासन, सूर्य नमस्कार आदि।


    🔹 विशेष आधार पर आसनों का वर्गीकरण:

    (A) पशुवत आसन (प्रकृति से प्रेरित):

    भुजंगासन, सिंहासन, शलभासन, मकरासन, मार्जरासन, कुक्कुटासन, गरुड़ासन, व्याघ्रासन आदि।

    (B) वस्तुवत आसन (सामग्री से प्रेरित):

    हलासन, धनुरासन, दंडासन, नौकासन, तोलासन आदि।

    (C) प्रकृति आधारित आसन:

    वृक्षासन, ताड़ासन, पर्वतासन, चंद्रासन, तालाबासन आदि।

    (D) अंगविशेष पर आधारित आसन:

    शीर्षासन, पादहस्तासन, मेरुदंडासन, बालासन, जानुसिरासन, कटिचक्रासन आदि।

    (E) योगी-नाम प्रेरित आसन:

    मत्स्येंद्रासन, गोरखासन, सिद्धासन, वीरासन, नटराजासन, अष्टवक्रासन आदि।

    (F) अन्य उपयोगी आसन:

    स्वस्तिकासन, सुखासन, वक्रासन, त्रिकोणासन, पवनमुक्तासन, सेतुबंधासन, पासासन आदि।


    📌 निष्कर्ष:

    आसन केवल एक क्रिया नहीं, बल्कि यह एक वैज्ञानिक साधना है जो शरीर, मन और आत्मा को साधती है। योग के इन आसनों का नियमित अभ्यास कर हम निरोग, आनंदमयी एवं संतुलित जीवन जी सकते हैं।


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