श्रीमद भागवत कथा में भगवान कृष्ण और सुदामा की अमर मित्रता का भावपूर्ण वर्णन

The audience showered flowers on the tableau, the atmosphere became emotional in the story
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राजगढ़ (अलवर),।
काली पहाड़ी गांव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिवस पर कथा व्यास आचार्य बनवारी बापू ने भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का मार्मिक वर्णन किया। कथा के मुख्य आकर्षण का केंद्र भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग रहा, जिसने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

आचार्य बनवारी बापू ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता विश्व में अनोखी और प्रेरणादायक है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने बालसखा श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। महल के द्वार पर जब द्वारपालों ने उन्हें रोका तो उन्होंने कहा कि वे श्रीकृष्ण के मित्र हैं।

जैसे ही यह बात श्रीकृष्ण तक पहुंची, वे भावविह्वल होकर “सुदामा… सुदामा…” पुकारते हुए द्वार की ओर दौड़े और अपने प्रिय सखा को सीने से लगा लिया। उन्होंने सुदामा का भरपूर स्वागत किया और अपने महल में उनका सम्मानपूर्वक अभिनंदन किया।

इस दृश्य का जीवंत वर्णन सुनकर पंडाल में बैठे श्रोता गदगद हो उठे। मंच पर प्रस्तुत सुदामा-कृष्ण झांकी पर श्रोताओं ने पुष्प वर्षा की और भक्ति भाव से जयकारे लगाए।

कथा व्यास ने इस प्रसंग के माध्यम से बताया कि सच्ची मित्रता न पद देखती है, न परिस्थिति, केवल हृदय का भाव देखती है। भगवान श्रीकृष्ण ने यह सिद्ध कर दिया कि वे केवल भक्तवत्सल ही नहीं, सखावत्सल भी हैं।

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