सरिस्का टाइगर रिजर्व से एक बार फिर बड़ी खुशखबरी सामने आई है। यहां बाघों की संख्या अब बढ़कर 50 तक पहुंच गई है। रविवार को प्रदेश के वन मंत्री संजय शर्मा ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा कर बताया कि सरिस्का के अलवर बफर जोन में बाघिन एसटी–2302 दो शावकों के साथ कैमरे में कैद हुई
मिशन सच न्यूज़, अलवर।
राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व से एक बार फिर बड़ी खुशखबरी सामने आई है। यहां बाघों की संख्या अब बढ़कर 50 तक पहुंच गई है। रविवार को प्रदेश के वन मंत्री संजय शर्मा ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा कर बताया कि सरिस्का के अलवर बफर जोन में बाघिन एसटी–2302 दो शावकों के साथ कैमरे में कैद हुई है। इसी के साथ सरिस्का टाइगर रिजर्व ने अर्धशतक पूरा कर लिया है। इससे पहले 16 सितम्बर को भी यही बाघिन एक शावक के साथ कैमरा ट्रैप में दिखाई दी थी। अब दो शावकों की पुष्टि के बाद बफर क्षेत्र में बाघों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। जबकि पूरे सरिस्का में अब 11 नर बाघ, 18 बाघिन और 21 शावक मौजूद हैं।

वन मंत्री ने दी प्रदेशवासियों को बधाई
वन मंत्री संजय शर्मा ने रविवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी कर कहा सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघिन एसटी–2302 दो शावकों के साथ कैमरे में दिखाई दी है। प्रदेशवासियों को इस उपलब्धि पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। वन मंत्री की इस घोषणा के बाद सरिस्का क्षेत्र के वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों में खुशी की लहर है। लोगों का मानना है कि बाघों की संख्या बढ़ना न केवल जंगल के स्वास्थ्य का सूचक है बल्कि यह जैव विविधता संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
सरिस्का के बफर जोन में पहली बार 11 बाघ
बफर जोन में पहली बार बाघों की संख्या 11 तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि अब तक बफर क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में बाघ नहीं देखे गए थे। उन्होंने कहा कि 16 सितम्बर को बाघिन एसटी–2302 एक शावक के साथ करणीमाता मंदिर क्षेत्र में कैमरा ट्रैप हुई थी। इसके बाद विशेष मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए थे और वनकर्मियों की टीम लगातार निगरानी रख रही थी। रविवार को वही बाघिन दो शावकों के साथ दिखाई दी।
नवरात्र में श्रद्धालुओं से अपील
कटियार ने बताया कि करणीमाता मंदिर क्षेत्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु नवरात्र के दौरान दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में वहां बाघिन और शावकों की मौजूदगी को देखते हुए लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की गई है। श्रद्धालुओं से सुबह बहुत जल्दी और शाम को देर तक मंदिर क्षेत्र में नहीं जाने की सलाह दी गई है। साथ ही मंदिर आने वाले लोगों से अपील की गई है कि वे वन विभाग के दिशानिर्देशों का पालन करें।
सरिस्का का स्वर्णिम अध्याय
सरिस्का टाइगर रिजर्व एक समय बाघों से पूरी तरह खाली हो गया था। साल 2005 में यहां बाघों की संख्या शून्य हो गई थी। उस समय यह रिजर्व चर्चा में आया और देशभर में चिंता का विषय बना। इसके बाद बाघ पुनर्वास योजना के तहत रणथंभौर से बाघों का स्थानांतरण कर सरिस्का को फिर से आबाद किया गया। धीरे-धीरे बाघों की संख्या बढ़ने लगी और आज 2025 में यह आंकड़ा 50 तक पहुंच गया है। यह उपलब्धि न केवल वन विभाग के प्रयासों का नतीजा है बल्कि स्थानीय ग्रामीणों और वन्यजीव प्रेमियों के सहयोग से भी संभव हो पाई है।
पर्यटन और पर्यावरण पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि सरिस्का में बाघों की बढ़ती संख्या से यहां का पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा। बाघ शीर्ष शिकारी प्रजाति होने के नाते जंगल में वन्यजीवों का संतुलन बनाए रखते हैं। इससे अन्य प्रजातियों को भी सुरक्षित वातावरण मिलता है। वहीं, पर्यटकों की संख्या बढ़ने से स्थानीय लोगों को रोज़गार के अवसर मिलेंगे और पर्यटन को भी नई दिशा मिलेगी।
सरिस्का के आंकड़े
कुल बाघ – 50
नर बाघ – 11
बाघिनें – 18
शावक – 21
बफर जोन में कुल बाघ – 11
बाघिन एसटी–2302 – अब दो शावकों की मां
स्थानीय लोगों में खुशी
अलवर और आसपास के क्षेत्रों में बाघों की संख्या 50 पहुंचने पर ग्रामीणों और स्थानीय नागरिकों में भी उत्साह है। लोग मानते हैं कि बाघों की बढ़ती संख्या से सरिस्का का नाम और भी रोशन होगा।


