अलवर. पर्यटन के विश्व मैप पर अलवर को ख्याति दिलाने के लिए टाइगर रिजर्व सरिस्का में विश्व स्तरीय बाघ संग्रहालय बनाने की योजना है। इसी प्रयास के तहत पिछले दिनों ही टाइगर रिजर्व सरिस्का में राजमाता बाघिन का स्टेच्यू का अनावरण वन मंत्री संजय शर्मा कर चुके हैं। अब केन्द्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने अलवर में विश्व स्तरीय बाघ संग्रहालय स्थापना की घोषणा की है। यह बाघ संग्रहालय विश्व का पहला होगा। पर्यटन को पंख लगने से अलवर की अर्थ व्यवस्था को गति मिल सकेगी, जिससे सरकार को राजस्व मिलने के साथ ही लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और बाजार में रुपयों का चलन बढ़ सकेगा। बाघ संग्रहालय की स्थापना अलवर में बनने जा रहे चिड़ियाघर के आसपास करने की योजना है और आगामी दो— तीन साल में इसके बनकर तैयार होने की उम्मीद है।
तीन हिस्सों में बंटने के बाद अलवर जिले की अर्थ व्यवस्था का मुख्य आधार पर्यटन बचा है। भिवाड़ी, नीमराणा, बहरोड़, शाहजहांपुर, तिजारा एवं खैरथल जैसे औद्योगिक और व्यापारिक शहरों के अलवर जिले से अलग होने के बाद अब पर्यटन ही यहां की अर्थ व्यवस्था की धुरी बन गई है। अलवर जिले में टाइगर रिजर्व सरिस्का पर्यटन का प्रमुख केन्द्र है और बाघों के चलते सरिस्का की देश दुनिया में पहचान है। बाघों को देखने के लिए पर्यटन सरिस्का आते हैं, जिससे सरकार को राजस्व मिलने के साथ ही प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। देश दुनिया को बाघों के बारे में पूर्ण जानकारी मिल सके, इसके लिए अब अलवर में बाघ संग्रहालय स्थापित करने की कवायद तेज कर दी गई है। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने पिछले दिनों ही अलवर में विश्व स्तरीय बाघ संग्रहालय स्थापित करने की घोषणा की थी।
अलवर में बाघ संग्रहालय बनाने की तैयारी
विश्व स्तरीय बाघ संग्रहालय की स्थापना अलवर में करने की घोषणा की गई है। संभवत: बाघ संग्रहालय अलवर की कटीघाटी के पास बनाए जा रहे चिड़ियाघर के आसपास बनाने की तैयारी है। बाघ संग्रहालय के लिए कटीघाटी क्षेत्र में ही जमीन की तलाश तेज कर दी गई है। कटी घाटी क्षेत्र में अंतरराष्टीय बाघ संग्रहालय स्थापित करने का बड़ा कारण यहां चिड़ियाघर का निर्माण होने के साथ नगर वन, कन्या उपवन पहले ही मौजूद है। यह क्षेत्र अलवर शहर का प्रवेश द्वार भी है। अरावली की वादियों से घिरा यह स्थान प्राकृतिक सौन्दर्य के चलते लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
यह होगा अंतरराष्टीय बाघ संग्रहालय से लाभ
अलवर में अंतरराष्टीय बाघ संग्रहालय स्थापित होने से बाघों से जुड़ी जानकारी मिल सकेगी। बाघों के बारे में जानकारी लेने के लिए देशी व विदेशी पर्यटक यहां आएंगे। इसमें बाघों की शारीरिक संरचना, बाघों का व्यवहार, उनके संरक्षण के बारे में जानकारी मिल सकेगी। यह बाघ संग्रहालय विश्व का पहला होगा और यह पूरी तरह बाघों के लिए समर्पित होगा।
बढ़ेगी पर्यटकों की संख्या, गति पकड़ेगी अर्थ व्यवस्था
अंतरराष्टीय बाघ संग्रहालय स्थापित होने से अलवर में देशी— विदेशी पर्यटकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होगी। अभी तक अलवर जिले में टाइगर रिजर्व सरिस्का, ऐतिहासिक झील सिलीसेढ़, भर्तृहरिधाम, पांडुपोल मंदिर, बाला किला, वेपन संग्रहालय, म्यूजियम, निर्माणाधीन चिड़ियाघर व बायोलॉजिकल पार्क, कन्या उपवन, नगर वन, मातृ वन समेत अनेक पर्यटन केन्द्र हैं। यहां भ्रमण के लिए हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। इससे अलवर में पर्यटन को बढ़ावा मिला है। पर्यटन बढ़ने से लोगों को रोजगार का सृजन हुआ, इससे लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने से आय बढ़ी है। आय बढ़ने का लाभ अलवर के बाजार को मिला, जिससे व्यापार ने गति पकड़ी है, जिससे बाजार में खुशहाली आने से व्यापार में लाभ हुआ है। अलवर में पर्यटन को बढ़ावा मिले, इसके लिए नए पर्यटक केन्द्र विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। बाघ संग्रहालय समेत अन्य पर्यटक केन्द्र विकसित होने से अलवर में पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, जिससे रोजगार बढ़ने, लोगों की क्रय शक्ति में बढ़ोतरी होने, बाजार व व्यापार में खुशहाली आने से अर्थ व्यवस्था मजबूत हो सकेगी।