अलवर में स्वतंत्रता गौरव उत्सव समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ताम्रपत्र प्राप्त स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री स्व. बद्रीप्रसाद गुप्ता को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर उनके सुपौत्र रिपु दमन गुप्ता का सम्मान किया गया।
मिशनसच न्यूज, अलवर।
अमर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों का त्याग और बलिदान भारत की आज़ादी का आधार रहा है। इन्हीं महान विभूतियों में से एक रहे स्वतंत्रता सेनानी ताम्रपत्र प्राप्त स्व. बद्रीप्रसाद गुप्ता, जिन्हें राजस्थान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में भी सेवा करने का अवसर मिला। आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर उनके योगदान को याद करते हुए स्वतंत्रता गौरव उत्सव समिति, अलवर ने एक विशेष श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया।
समारोह में स्वतंत्रता सेनानी के त्याग और संघर्ष को नमन करते हुए उनके परिवार का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर उनके सुपौत्र श्री रिपु दमन गुप्ता को समिति की ओर से शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। यह सम्मान केवल एक परिवार का गौरव नहीं, बल्कि पूरे समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का संदेश है।
बद्रीप्रसाद गुप्ता का योगदान
स्व. बद्रीप्रसाद गुप्ता ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान न सिर्फ सक्रिय भूमिका निभाई बल्कि देशहित में कई बार कठिनाइयों और संघर्षों का सामना भी किया। उन्हें उनके साहस और बलिदान के लिए ताम्रपत्र से सम्मानित किया गया था। आज़ादी के बाद उन्होंने राजस्थान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में जनसेवा को नई दिशा दी। उनके कार्यकाल में चिकित्सा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलें हुईं, जिनसे आमजन को लाभ मिला।
श्रद्धांजलि और सम्मान का अवसर
समारोह में उपस्थित गणमान्य नागरिकों ने एक स्वर से माना कि स्व. गुप्ता का जीवन त्याग, संघर्ष और समाजसेवा का उत्तम उदाहरण है। समिति ने कहा कि यह आवश्यक है कि आने वाली पीढ़ी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को जानें और उनसे प्रेरणा लें।
समारोह में सुरेंद्र माथुर, गौरी शंकर विजय, मनोज गुप्ता, नारायण साईंवाल, प्रकाश गुप्ता, संजय बवेजा, सत्य प्रकाश शर्मा, अजीत सोनी, शैलेन्द्र माथुर सहित अनेक प्रमुख नागरिक शामिल हुए। सभी ने स्व. गुप्ता की स्मृति को नमन किया और रिपु दमन गुप्ता को बधाई दी।
समाज के लिए प्रेरणा
रिपु दमन गुप्ता ने इस सम्मान को अपने पूर्वजों की स्मृति और त्याग का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह अवसर केवल उनके परिवार का नहीं बल्कि पूरे समाज का है और वे सदैव अपने पूर्वजों के आदर्शों पर चलकर समाजसेवा के कार्य करते रहेंगे।