नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को बिहार के नालंदा जिले का दौरा किया, जहां उन्होंने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल प्राचीन नालंदा के खंडहरों का दौरा किया और नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक पट्टिका का अनावरण और पौधारोपण भी किया। प्राचीन नालंदा के खंडहरों में मठ और शिक्षण संस्थान के पुरातात्विक अवशेष शामिल हैं। इन अवशेषों में स्तूप, मंदिर, विहार (आवासीय और शैक्षणिक भवन) तथा प्लास्टर, पत्थर और धातु से बनी महत्वपूर्ण कलाकृतियां शामिल हैं। नालंदा विश्वविद्यालय भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है और इसका ऐतिहासिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है।प्रधानमंत्री के नालंदा दौरे के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना सर्किल की अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री को प्राचीन खंडहरों के बारे में जानकारी दी।
यह हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत खास दिन
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने एक पोस्ट में लिखा, ‘‘ यह हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत खास दिन है। आज सुबह करीब 10:30 बजे राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया जाएगा। नालंदा का हमारे गौरवशाली अतीत से गहरा नाता है। यह विश्वविद्यालय निश्चित रूप से युवाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में बहुत मददगार साबित होगा।”
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना पांचवीं शताब्दी में हुई थी जहां दुनियाभर से छात्र अध्ययन के लिए आते थे। विशेषज्ञों के अनुसार, 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए जाने से पहले यह प्राचीन विश्वविद्यालय 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा। विश्वविद्यालय में छह अध्ययन केंद्र हैं जिनमें बौद्ध अध्ययन, दर्शन और तुलनात्मक धर्म स्कूल; ऐतिहासिक अध्ययन स्कूल; पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन स्कूल; और सतत विकास और प्रबंधन स्कूल शामिल हैं।