अलवर जिले के गोविंदगढ़ थाना क्षेत्र के दड़ीका गांव में 40 वर्षीय महिला ने खांसी की दवा समझकर ज़हरीली दवा पी ली। इलाज के दौरान मौत हो गई। महिला के चार बच्चे हैं, जिनमें एक विकलांग है।
मिशनसच न्यूज, अलवर। राजस्थान के अलवर जिले के गोविंदगढ़ थाना क्षेत्र के दड़ीका गांव में गुरुवार रात एक दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया। गांव निवासी रामलाल की पत्नी कालीबाई (40) की मौत उस समय हो गई, जब उन्होंने खांसी की दवा समझकर गलती से कपास पर छिड़कने वाली ज़हरीली दवा पी ली।
जानकारी के अनुसार, कालीबाई लंबे समय से सांस की बीमारी से जूझ रही थीं। रात को उन्हें खांसी और सांस लेने में तकलीफ हुई। घर पर रखी खांसी की दवा लेने की कोशिश में उन्होंने गलती से कपास पर छिड़कने वाली कीटनाशक दवा पी ली। दवा पीने के कुछ ही देर बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी और वे बेहोश हो गईं।
परिजनों ने तत्काल उन्हें गोविंदगढ़ के सरकारी अस्पताल पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर स्थिति देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें अलवर के राजकीय अस्पताल रेफर कर दिया। अलवर पहुंचते ही डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया, लेकिन उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई। शुक्रवार सुबह करीब 5 बजे इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
कालीबाई की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मृतका के चार बच्चे हैं, जिनमें सबसे बड़ा बेटा विकलांग है। वहीं, उनकी एक बेटी की शादी दीपावली के आसपास तय थी। अचानक हुए इस हादसे ने शादी की खुशियों को मातम में बदल दिया। घर में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है और परिजनों की हालत रो-रोकर बुरी हो गई है।
गांव में भी इस घटना को लेकर गहरा शोक है। ग्रामीणों का कहना है कि कालीबाई परिवार की रीढ़ की हड्डी थीं और उनकी देखरेख में ही घर-परिवार संभलता था। अब बच्चों और पति के सामने जीवन यापन की गंभीर चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
घटना की जानकारी मिलते ही गोविंदगढ़ थाना पुलिस भी अस्पताल पहुंची। पुलिस ने परिजनों के बयान दर्ज किए और मामले की जांच शुरू कर दी है। फिलहाल पुलिस इसे हादसा मान रही है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पूरी सच्चाई स्पष्ट होगी।
जेठ का बयान
मृतका के जेठ भोलाराम ने बताया कि, “कालीबाई सांस की बीमारी से परेशान रहती थी। कल रात गलती से उसने खांसी की दवा समझकर कीटनाशक दवा पी ली। हमें जैसे ही पता चला, हम उसे तुरंत अस्पताल लेकर भागे, लेकिन भगवान को शायद यही मंजूर था।”
ग्रामीणों ने जताया दुख
गांव के लोगों ने भी इस हादसे पर गहरा दुख जताया। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी घटनाएं अक्सर ग्रामीण परिवारों में जागरूकता की कमी और दवाओं को सुरक्षित तरीके से न रखने के कारण होती हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि गांव-गांव में दवा सुरक्षा और स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
घटना से सबक
यह हादसा एक बड़ी सीख छोड़ गया है कि दवाओं और ज़हरीले पदार्थों को हमेशा अलग-अलग और सुरक्षित जगह पर रखना चाहिए। खासकर ऐसे घरों में जहां छोटे बच्चे या बुजुर्ग हों, वहां दवा और ज़हर जैसी वस्तुओं को बिल्कुल मिलाकर न रखें।
कालीबाई की मौत ने जहां उनके परिवार को असहनीय पीड़ा दी है, वहीं पूरे गांव को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि ज़रा सी लापरवाही कितनी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है।