बेंगलुरु के दुखद हादसे के बाद क्यों चर्चा में आ गई 16 अगस्त 1980 की तारीख 

नई दिल्ली । बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ में 11 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। इस दर्दनाक हादसे के बाद अब 16 अगस्त 1980 की तारीख फिर चर्चा में आ गई है। दरअसल बेंगलुरु में हुए हादसे ने 1980 में कोलकाता के ईडन गार्डन्स में हुई घटना को याद दिलाई थी। 16 अगस्त 1980 को ईडन गार्डन्स (तब सॉल्ट लेक स्टेडियम नहीं था, यह 1984 बनकर तैयार हुआ था) में चिर प्रतिद्वंद्वी मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच कोलकाता फुटबॉल मैच में दो टीमों के फैंस के बीच जबरदस्त झड़प हुई, जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई। मैच में भीड़ में झगड़ा हुआ, पत्थरबाजी हुई और भगदड़ मच गई।
ईडन गार्डन्स में अगस्त की उस दोपहर में 70,000 से अधिक दर्शक गैलरी में जमा थे और मोहन बागान के तेज तर्रार राइट विंगर बिदेश बसु को ईस्ट बंगाल के साइड बैक दिलीप पालित ने गिरा दिया, जो अपनी रफ टैकलिंग के लिए कुख्यात थे। तब की रिपोर्टों के अनुसार, उस मैच के रेफरी स्वर्गीय सुधीन चटर्जी का मैच की व्यवस्था पर कंट्रोल नहीं था और एक बार जब बिदेश और दिलीप के बीच हाथापाई हुई, तब स्टैंड में तनाव फैल गया। दोनों पक्षों के दर्शकों की ओर से पत्थरबाजी हुई और कोलकाता पुलिस इतनी सतर्क नहीं थी कि भगदड़ जैसी स्थिति को समझ सके क्योंकि भीड़ घबरा गई और इधर-उधर भागने की कोशिश करने लगी। 
ईडन गार्डन्स के दूसरे टियर से भगदड़ से बचने की कोशिश कर रहे प्रशंसकों की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर आज भी उन परिवारों को डराती है।  18 से 60 वर्ष की आयु के 16 फैन्स, जो दोपहर में अपने घरों से बेकाबू खुशी और उत्साह के साथ निकले थे, वे मैटाडोर (उन दिनों शव वाहन नहीं थे) में बेजान होकर वापस आए। वहीं 9 दिसंबर 2012 को इसी तरह की त्रासदी हो सकती थी, जब जब मोहन बागान के रहीम नबी के माथे पर विपक्षी टीम के स्टैंड से एक पत्थर आकर लगा। लेकिन, यह नजारा तब देखने को मिला, जब ईस्ट बंगाल के डिफेंडर अर्नब मंडल मोहन बागान के स्टार को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे थे। उस मैच को रद्द कर किया और ईस्टर्न मेट्रोपॉलिटन बाईपास की सड़कों पर झड़पों में 40 से अधिक लोग घायल हो गए।

1969 के क्रिकेट मैच में हुआ हादसा 
1969 में ऑस्ट्रेलिया की भारत में टेस्ट सीरीज के दौरान कोलकाता (ईडन गार्डन्स) और मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में दो घटनाएं हुईं। मुंबई में यह घटना एक विवादास्पद निर्णय के बाद हुई थी, जिसमें एस वेंकटराघवन को बाहर होना पड़ा था। ऑल इंडिया रेडियो की कमेंट्री सुन रहे दर्शक भड़क उठे और उन्होंने उत्पात मचा दिया। लेकिन सौभाग्य से कोई मौत नहीं हुई। ईडन गार्डन्स में भगदड़ जैसी स्थिति बंगाल क्रिकेट संघ के तत्कालीन भ्रष्ट अधिकारियों के कारण थी, जिन्होंने क्षमता से अधिक नकली टिकट छपवाए थे और वहां कम से कम 20,000 लोग थे।   
हिल्सबोरो (1989): इंग्लैंड के शेफ़ील्ड में हिल्सबोरो स्टेडियम में भगदड़ मचने से लिवरपूल और नॉटिंघम फॉरेस्ट के बीच एफए कप सेमीफाइनल के दौरान 97 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। यह अभी भी खेल से जुड़ी भीड़ की मौत की सबसे बुरी घटनाओं में से एक है। हौफोएट-बोइग्नी भगदड़ (2009): अबिदजान में आइवरी कोस्ट और मलावी के बीच विश्व कप क्वालिफायर के दौरान भगदड़ में 19 फैन्स की मौत हो गई और 135 गंभीर रूप से घायल हो गए। 

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