सावन का महीना हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है. इस दौरान भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है और व्रत-उपवास रखने से लेकर खानपान तक में खास सावधानी बरती जाती है. खासकर सावन में कुछ चीजें खाने से मना किया जाता है, जैसे दही, हरी पत्तेदार सब्जियां (साग) और बैंगन. लोग इसे धार्मिक मान्यताओं से जोड़ते हैं, लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं, जो हमारे स्वास्थ्य से जुड़े हैं. आइए जानते हैं कि आखिर सावन में इन चीजों को क्यों खाने से मना किया जाता है और इससे जुड़ी साइंस क्या कहती है.
दही क्यों नहीं खाते सावन में?
दही वैसे तो पाचन के लिए अच्छा माना जाता है और गर्मियों में शरीर को ठंडक देने के लिए इसका सेवन किया जाता है. लेकिन सावन के समय वातावरण में नमी और उमस बहुत ज्यादा होती है, जिससे बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं. इस मौसम में दही जल्दी खट्टा हो जाता है, और इसमें हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं. इसे खाने से पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे गैस, अपच, दस्त और फूड पॉइजनिंग हो सकती हैं. आयुर्वेद के अनुसार, सावन में वात दोष बढ़ता है और दही का सेवन इस दोष को और बढ़ा सकता है, जिससे शरीर में असंतुलन हो सकता है. इसलिए इस महीने में दही की बजाय छाछ या मट्ठे का सेवन करना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.
साग क्यों नहीं खाते सावन में?
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, सरसों, मेथी आदि को भी सावन के महीने में खाने से परहेज किया जाता है. इसका कारण यह है कि इस मौसम में मिट्टी में ज्यादा नमी होती है, जिससे सब्जियों की जड़ों और पत्तियों में कीड़े लगने की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा, बारिश का पानी खेतों में जमा हो जाता है जिससे सब्जियों में फंगस और बैक्टीरिया पनप सकते हैं. अगर इस तरह की सब्जियां ठीक से न धोई जाएं, तो यह पेट संक्रमण, दस्त या टाइफाइड जैसी बीमारियों का कारण बन सकती हैं. इसलिए आयुर्वेद और विज्ञान दोनों यही सलाह देते हैं कि सावन में हरी सब्जियों के सेवन से बचना चाहिए या बहुत अच्छे से साफ करके पकाना चाहिए.
बैंगन क्यों नहीं खाया जाता सावन में?
बैंगन को लेकर धार्मिक मान्यता है कि यह एक तामसिक भोजन है और भगवान शिव को सात्विक भोजन चढ़ाया जाता है. इसके अलावा, बैंगन को ‘गंदगी में उगने वाली सब्जी’ माना जाता है क्योंकि इसकी खेती गीली और कीट-पतंगों से भरी मिट्टी में होती है. वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो सावन में बैंगन में कीड़ों के अंडे होने की संभावना ज्यादा रहती है, क्योंकि यह सब्जी आसानी से संक्रमित हो सकती है. यह भी एक कारण है कि सावन में बैंगन खाने से मना किया जाता है, ताकि संक्रमण से बचा जा सके.
सावन में क्यों नहीं खाते हैं कढ़ी?
सावन के महीने में कढ़ी खाना मना किया जाता है क्योंकि यह दही से बनती है, जो इस मौसम में वात और कफ दोष को बढ़ा सकती है. इस समय पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, ऐसे में खट्टी और भारी चीजें पेट को नुकसान पहुंचा सकती हैं. कढ़ी जल्दी खराब भी हो जाती है जिससे फूड पॉइजनिंग या पेट की समस्याएं हो सकती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन में सात्विक और हल्का भोजन करना शुभ माना गया है. इसलिए कढ़ी, दही और साग जैसी चीजों से परहेज करना बेहतर होता है.