व्यापार: लगातार तीसरे दिन शेयर बाजार में दिवाली पार्टी जारी है. जिसकी वजह से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 52 हफ्तों के हाई पर पहुंच गया है. अगर आंकड़ों को देखें तो निफ्टी में तीन कारोबारी दिनों में 631.25 अंकों से ज्यादा का इजाफा देखने को मिल चुका है. वहीं दूसरी ओर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स इस दौरान 2,132.73 अंकों का उछाल मार चुका है.
अगर बात शुक्रवार की बात करें तो सेंसेक्स में दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर 692.50 अंकों की तेजी के साथ 84,153.63 अंकों अंकों पर कारोबार कर रहा है. जबकि कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स करीब 700 अंकों की तेजी के साथ 84,172.24 पर पहुंच गया. इसका मतलब है कि सेंसेक्स भी शुक्रवार को एक साल के हाई पर दिखाई दिया. अगर बात निफ्टी की बात करें तो 191.05 अंकों की तेजी के साथ 25,775.75 अंकों पर कारोबार कर रहा है. जबकि कारोबारी सत्र के दौरान 25,781.50 अंकों के साथ 52 हफ्तों के हाई पर पहुंच गया.
शेयर बाजार में इस तेजी की वजह से शेयर बाजार निवेशकों को भी मोटा फायदा हुआ है. जोकि बीएसई के मार्केट कैप के साथ जुड़ा हुआ है. आंकड़ों को देखें तो दिन दिन पहले यानी 14 अक्टूबर को बीएसई का मार्केट कैप 4,59,67,652.36 करोड़ रुपए था, जोकि शुक्रवार को 17 अक्टूबर के दिन कारोबारी सत्र के दौरान 4,68,65,434.88 करोड़ रुपए पर आ गया. इसका मतलब है कि शेयर बाजार निवेशकों को तीन कारोबारी दिनों में करीब 9 लाख करोड़ रुपए का फायदा हो चुका है.
जानकारों की मानें तो फेस्टिव डिमांड, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, रुपए में तेजी, अमेरिका के साथ जल्द डील होने की संभावना, ब्याज दरों में गिरावट की संभावना, एशिया बाजारों में इजाफा और डॉलर इंडेक्स में गिरावट का फायदा शेयर बाजार को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है. वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार विदेशी निवेशकों की वापसी का जश्न भी मना रहा है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर किस वजह से शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल रही है.
शेयर बाजार किस बात का मना रहा है जश्न?
- विदेशी निवेशकों की वापसी: कई महीनों की भारी बिकवाली के बाद, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारतीय शेयरों में वापसी कर रहे हैं. एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, 7 से 14 अक्टूबर के बीच, एफआईआई सात में से पांच सत्रों में शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने सेकेंडरी मार्केट में 3,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया. प्राइमरी मार्केट में उनकी भागीदारी 7,600 करोड़ रुपये से अधिक रही, जबकि एनएसई के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार 15 अक्टूबर को 68 करोड़ रुपए का और निवेश हुआ.
- अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में कमी: अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में भारी गिरावट से रिस्क की आशंका बढ़ रही है. दो साल का यील्ड तीन साल के निचले स्तर पर आ गया है, जबकि 10 साल का यील्ड छह महीने के निचले स्तर 3.95 फीसदी पर आ गया है. कम यील्ड भारत जैसे उभरते बाजारों को ग्लोबल इंवेस्टर्स के लिए अधिक आकर्षक बनाती है, जिससे पोर्टफोलियो फ्लो और तरलता बढ़ती है.
- भारत-अमेरिका के बीच संभावित ट्रेड डील: भारत-अमेरिका ट्रेड वार्ता में प्रगति की उम्मीदों से भी धारणा को बल मिला. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस से तेल खरीदना बंद करने का वादा किया है. भारतीय अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा “जारी” है, जिसे निवेशक व्यापार घर्षण जोखिमों में कमी के रूप में देख रहे हैं.
- आईपीओ का दबाव कम हुआ: टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया जैसे बड़े आईपीओ के दो हफ़्तों के दबाव के बाद, प्राइमरी मार्केट में हलचल शांत हो गई है. इस और अगले हफ़्ते बड़े इश्यू के न होने से तरलता का दबाव कम हुआ है, जिससे निवेशकों का पैसा सेकेंडरी मार्केट में खरीदारी के लिए मुक्त हो गया है.
- शॉर्ट कवरिंग से आई मजबूती: फ्रंटलाइन शेयरों में तेज उछाल से सभी क्षेत्रों में शॉर्ट कवरिंग की लहर चल रही है, जिससे तेजी को बल मिल रहा है. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इंवेस्टमेंट रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि अभी भी, सिस्टम में काफी शॉर्ट पोजिशन मौजूद हैं, और बाजार की मजबूती से मंदड़ियों को पीछे हटना पड़ सकता है, जिससे आगे शॉर्ट कवरिंग को बढ़ावा मिल सकता है.
- डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत: शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सरकारी बैंकों के जरिए बाजार-पूर्व डॉलर की बिक्री से रुपए की शुरुआत कमजोर वैश्विक संकेतों के बावजूद मजबूती के साथ हुई. रुपया डॉलर के मुकाबले 87.75 पर पहुंच गया, जो गुरुवार के 87.82 के बंद स्तर से ज़्यादा है, और दो सत्रों में 1 फीसदी से ज़्यादा की बढ़त दर्ज कर चुका है. व्यापारियों ने कहा कि इस हफ्ते आरबीआई के हस्तक्षेप से लंबी अवधि के सट्टेबाजी वाले डॉलर की स्थिति कम हुई है, जबकि अमेरिकी सरकार के बंद होने की चिंताओं और फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीदों के बीच डॉलर सूचकांक तीन महीनों में अपनी सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट के लिए तैयार है.
- बैंक शेयरों में तेजी: आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक के नतीजों से पहले बैंक शेयरों में तेजी जारी रही. निफ्टी बैंक इंडेक्स में 0.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जिसकी वजह आईसीआईसीआई बैंक में 0.6 फीसदी और एचडीएफसी बैंक में 0.4 फीसदी की बढ़त रही. विजयकुमार ने कहा कि एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के अच्छे नतीजे बाजार को सहारा दे सकते हैं, और अगर रिलायंस भी अपने नतीजों के बाद तेजी में शामिल हो जाता है, तो बाजार इस तेजी को और बरकरार रख सकता है. उन्होंने आगे कहा कि बैंकों के मजबूत नतीजे “बुनियादी सहारा” प्रदान कर सकते हैं, और त्योहारी माहौल और मुहूर्त ट्रेडिंग “तेजी के उत्साह को और बढ़ा सकते हैं.
- कच्चे तेल में गिरावट: शुक्रवार को तेल की कीमतों में गिरावट जारी रही, ब्रेंट क्रूड 61 डॉलर प्रति बैरल और यूएस डब्ल्यूटीआई 57.37 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा था, दोनों ही साप्ताहिक गिरावट की ओर बढ़ रहे थे. यह गिरावट इस खबर के बाद आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने पर चर्चा के लिए हंगरी में मिलने की योजना बना रहे हैं, जिससे ग्लोबल सप्लाई व्यवधानों को लेकर चिंताएं कम होंगी. भारत, जो एक प्रमुख कच्चा तेल आयातक है, के लिए तेल की कीमतों में गिरावट स्पष्ट रूप से सकारात्मक है, जिससे व्यापार घाटा कम करने, महंगाई के दबाव को कम करने तथा कॉर्पोरेट मार्जिन में सुधार करने में मदद मिलेगी.