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    NGT में बड़ा खुलासा: चंबल नदी में गिर रहे हैं 17 गंदे नाले, नगर निगम ने सिर्फ एक की दी जानकारी

    कोटा नगर निगम पर उठाया सवाल
    मिशनसच न्यूज,  कोटा। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ता बाबूलाल जाजू ने चंबल नदी में हो रहे भयानक प्रदूषण का पर्दाफाश करते हुए नगर निगम को कठघरे में खड़ा किया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT), भोपाल पीठ में दायर याचिका संख्या 189/2023 के माध्यम से उन्होंने बताया कि कोटा शहर से निकलने वाले कम से कम 17 गंदे नाले बिना शोधन के सीधे चंबल नदी में गिर रहे हैं, जबकि नगर निगम ने अपने जवाब में केवल एक नाले की जानकारी दी है।
    इस याचिका को अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी के माध्यम से दाखिल किया गया है। जाजू ने स्वयं कोटा के विभिन्न घाटों, बैराजों और पुलों का निरीक्षण कर यह तथ्य जुटाए हैं। उन्होंने पैदल और स्ट्रीम मोटर बोट की सहायता से सभी 17 स्थानों की पहचान की, जहाँ मल-मूत्र युक्त घरेलू और औद्योगिक गंदा पानी सीधे चंबल में प्रवाहित हो रहा है। उन्होंने इन स्थानों के जीओटैग्ड फोटो और वीडियो साक्ष्य भी जुटाए हैं जो न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे।
    नगर निगम का दावा झूठा?
    नगर निगम का कहना है कि 8 स्थानों पर ETP (Effluent Treatment Plant) कार्य कर रहे हैं और पानी को शुद्ध कर नदी में छोड़ा जा रहा है। लेकिन बाबूलाल जाजू ने इस दावे को भ्रामक और तथ्यहीन बताते हुए कहा कि कोई भी शोधन कार्य नहीं हो रहा, और नदी की पारिस्थितिकी पर विनाशकारी असर पड़ रहा है।
    ये हैं चंबल में गिरने वाले 17 गंदे नालों के स्थान:
    1. शिवपुरा-बासी क्षेत्र
    2. आधारशिला इलाका
    3. राजस्थान आर्म्ड कॉस्टिक लिमिटेड के पास
    4. अमर निवास पैलेस क्षेत्र
    5. सादीजादा क्षेत्र
    6. रामपुरा कनाला रिवर फ्रंट (डाउनस्ट्रीम)
    7. नयापुरा छोटी चंबल पुलिया के पास
    8. कुन्हाड़ी रिवर फ्रंट श्मशान घाट के पास
    9. माताजी मंदिर के पास (रिवर फ्रंट)
    10. सख्तपुरा क्षेत्र (बैराज के पास)
    11. दोस्तपुरा क्षेत्र
    12. नयापुरा हरिजन बस्ती
    13. खंडपावड़ी क्षेत्र
    14. खेड़ली पाटक (संजय नगर क्षेत्र)
    15. रंगपुर क्षेत्र
    16. केशवरायपाटन रोड
    17. सुभाष नगर (पुलिस लाइन के पास)
    घड़ियाल सेंचुरी पर संकट
    बाबूलाल जाजू ने चिंता जताते हुए कहा कि चंबल भारत की एकमात्र घड़ियाल सेंचुरी है और इस तरह से नदी में प्रदूषित जल का बहाव अगर जारी रहा, तो घड़ियालों सहित अन्य जलजीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने नगर निगम पर न्यायालय में झूठे तथ्य पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि शीघ्र उचित कार्रवाई नहीं हुई तो चंबल की अनूठी जैव विविधता समाप्त हो सकती है।

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