मुंबई: साल 2024 की प्रेरक फिल्म ‘लापता लेडीज’ से अभिनय की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री प्रतिभा रांटा की यात्रा हर युवा अभिनेत्री के लिए मिसाल है। अमर उजाला से खास बातचीत में प्रतिभा ने अपनी इस यात्रा के ऐसे अनुभव साझा किए, जो हर महिला को अपने भीतर की ताकत पहचानने और हर चुनौती का हिम्मत से सामना करने के लिए प्रेरित करेंगे। पढ़िए प्रतिभा की कहानी उनकी जुबानी…
मुंबई का पहला कदम और नए अनुभव
‘जब मैं शिमला से मुंबई आई, तब मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि मेरा जीवन कैसे बदलेगा। यह मेरे लिए एक नई शुरुआत थी। शूटिंग के लिए अलग-अलग शहरों में जाना, नए लोगों से मिलना, पहली बार पर्दे पर अपनी कहानी पेश करना। हर दिन नए अनुभव और चुनौतियों से भरा था। कई बार लगा कि मैं आगे कैसे बढ़ूंगी, लेकिन हर मुश्किल ने मुझे और मजबूत बनाया। आज पीछे मुड़कर देखती हूं, तो पाती हूं कि यही अनुभव मेरी सबसे बड़ी ताकत बन चुके हैं।
अकेलेपन और संघर्ष का सामना
शुरूआती दौर में मुंबई में बहुत अकेलापन महसूस हुआ। हर दिन नए लोगों और नए प्रोजेक्ट्स के बीच खुद को साबित करना आसान नहीं था, लेकिन मैंने खुद से कहा- ‘तुम्हारे भीतर ताकत है, छोटे-छोटे कदम बढ़ाते रहो।’ मैंने छोटी-छोटी उपलब्धियों का जश्न मनाया। अपने अनुभवों से सीखा और कभी हार नहीं मानी। यही एहसास कि कठिनाइयों में भी हम खुद को संभाल सकते हैं, मेरी सबसे बड़ी ताकत बन गया।
करियर का टर्निंग पॉइंट
मेरा पहला ब्रेक फिल्म ‘लापता लेडीज’, करियर की टर्निंग पॉइंट बनी। यह सिर्फ मेरी शुरुआत नहीं थी बल्कि मेरी मेहनत और संघर्ष का परिणाम था। उस समय मुझे लगा कि मेरी कहानी अब लोगों तक पहुंचेगी और सच में ऐसा हुआ भी। उस दिन यकीन हुआ कि मेहनत, आत्मविश्वास और हिम्मत से हर सपना पूरा किया जा सकता है। यह सीख मुझे आज भी हर नई चुनौती के लिए तैयार रखती है।
डर और शंका को पार करना
नई राह पर कदम रखना हमेशा आसान नहीं होता। डर और संदेह आते हैं। मैं खुद से कहती हूं- ‘प्रतिभा, चलते रहो … गहरी सांस लो, खुद पर भरोसा रखो।’ हर दिन एक छोटा कदम आगे बढ़ाना, चाहे कितना भी मुश्किल क्यों न लगे, यही मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। डर को समझना और उसके बावजूद कदम बढ़ाना ही सही रास्ता है।
परिवार और समर्थन की ताकत
मेरे परिवार, खासकर मेरे दादा-दादी, ने हर चुनौती में मेरा हौसला बढ़ाया। बॉलीवुड अनिश्चितताओं से भरा है, हर दिन नया संघर्ष और नई परीक्षा लेकर आता है। कई बार लगता है कि क्या मैं सफल हो पाउंगी, लेकिन परिवार का प्यार और समर्थन मुझे आगे बढ़ने की ताकत देता है। यही ताकत मुझे स्थिर रखती है और मेरे भीतर की शक्ति को जगाती है।
पहली फिल्म ने दी नई दिशा और आत्मविश्वास
पहली फिल्म ने मेरे लिए सब कुछ बदल दिया। अब मैं खुद फैसले ले सकती हूं, समझ सकती कि मैं क्या करना चाहती हूं और खुद को नए तरीके से चुनौती दे सकती हूं। नए प्रयोग करने का साहस तभी आता है जब आपने अपने पहले कदम में खुद को साबित किया हो और लोगों ने उसे पसंद किया हो। यह अनुभव मुझे नई एनर्जी और आत्मविश्वास देता है। अब कोई भी चुनौती मुझे डराती नहीं, बल्कि मुझे और मजबूत बनाती है।’