More
    Homeराजनीतिकर्नाटक में जारी सर्वे के बीच सिद्धारमैया का बड़ा बयान, लिंगायत को...

    कर्नाटक में जारी सर्वे के बीच सिद्धारमैया का बड़ा बयान, लिंगायत को बताया अलग धर्म

    नई दिल्‍ली । कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) ने लिंगायत (Lingayat) को अलग धर्म (Religion) बताया है। यह बयान विपक्ष के उन आरोपों को फिर से हवा दे सकता है कि वे वीरशैव-लिंगायत समुदाय को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं। लिंगायत सीयर्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित बासव सांस्कृतिक अभियान 2025 के समापन समारोह में बोलते हुए सीएम ने यह बात कही। सिद्धारमैया ने कहा, ‘जाति व्यवस्था हमारे समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी है। इस जाति व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के लिए बासवन्ना ने एक अलग धर्म की शुरुआत की।’

    यह बयान लिंगायत समुदाय के भीतर मौजूद भ्रम के बीच आया है, जो इस बात को लेकर विभाजित है कि मौजूदा सामाजिक-शैक्षिक सर्वे में खुद को एक अलग धर्म के रूप में दर्ज करना चाहिए या हिंदू धर्म के तहत एक जाति के रूप में। राज्य में विपक्षी बीजेपी वीरशैव-लिंगायतों से आग्रह कर रही है कि वे खुद को एक जाति के रूप में पहचानें और राज्य में हिंदू समुदाय को मजबूत करें। वहीं, कांग्रेस नेतृत्व इस समुदाय को एक अलग धर्म के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है।

    ‘मैं शूद्र हूं और मुझे…’
    सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि वे लिंगायत सम्मेलन में कई मुद्दों पर ज्यादा बात नहीं करना चाहते क्योंकि वे जो भी कहते हैं, वह जल्द ही विवाद में बदल जाता है। अपने भाषण में जाति व्यवस्था पर हमला करते हुए सिद्धारमैया ने कहा, ‘मैं चातुर्वर्ण्य व्यवस्था के तहत शूद्र हूं। केवल इसलिए कि मैं शूद्र हूं, मुझे शिक्षा और समानता के अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता। जाति किसी को बड़ा या प्रसिद्ध नहीं बनाती। ज्ञान किसी की संपत्ति नहीं है और इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता।’

    लोहिया को भी किया याद
    सिद्धारमैया ने निचली जातियों और बासवन्ना के सिद्धांतों का पालन करने वाले सभी लोगों से देश में जातिविहीन समाज सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘राम मनोहर लोहिया ने एक बार कहा था कि अगड़ी जातियों की रैलियां जाति को मजबूत करने का प्रयास हैं। लेकिन पिछड़ी जातियों और दबे-कुचले लोगों की रैलियां मजबूती नहीं, बल्कि समानता की मांग की ओर एक रैली हैं। अगर हम एक समान और मानवीय समाज चाहते हैं तो हमें इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकजुट होना होगा।’

    latest articles

    explore more

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here