अलवर जिले की ग्राम पंचायत धिरोड़ा में बद्री मीणा परिवार ने अपनी दिवंगत पोती की स्मृति में ‘कन्या उद्यान’ की स्थापना की। इसमें 51 प्रजातियों के पौधे लगाए गए, जो पर्यावरण संरक्षण और भावनात्मक संदेश का प्रतीक बने।
मिशनसच न्यूज, अलवर। जिले के धिरोड़ा गाँव ने हाल ही में एक ऐसी अनोखी पहल देखी, जिसने पूरे क्षेत्र में प्रेरणा का संदेश दिया। ग्राम पंचायत धिरोड़ा निवासी बद्री मीणा और उनके परिवार ने अपनी दिवंगत पोती की असमय मृत्यु के दुख को सकारात्मक पहल में बदलते हुए ‘कन्या उद्यान’ की स्थापना की है। यह उद्यान न केवल परिवार की भावनाओं को संजोता है, बल्कि समाज को पर्यावरण संरक्षण की नई राह भी दिखाता है।
दुख को प्रेरणा में बदला
11 अगस्त को धिरोड़ा निवासी बद्री मीणा की छोटी पोती घर में खेलते समय गोयरे (सांप) के काटने से असामयिक मृत्यु का शिकार हो गई। इस अचानक हुई घटना से परिवार और पूरे गाँव में गहरा शोक छा गया। लेकिन परिवार ने इस दर्द को अपनी शक्ति बनाया और प्रकृति संरक्षण की दिशा में कदम उठाने का निर्णय लिया।
प्रकृति प्रेमी प्रदीप जी से मिली प्रेरणा
बद्री मीणा और उनके परिवार ने प्रकृति प्रेमी प्रदीप जी से प्रेरणा लेकर अपने घर के पास पड़ी खाली भूमि में वृक्षारोपण का संकल्प लिया। इस संकल्प के तहत परिवार ने 51 प्रजातियों के छायादार पौधे लगाए। इस कार्य को नाम दिया गया – “कन्या उद्यान”, जो उनकी पोती की यादों को हमेशा जीवित रखेगा।
‘कन्या उद्यान’ का महत्व
यह उद्यान केवल पौधे लगाने की पहल भर नहीं है, बल्कि इसमें गहरी भावनात्मक और सामाजिक सोच छिपी है। एक ओर यह दिवंगत बालिका की स्मृति को चिरस्थायी बनाएगा, वहीं दूसरी ओर यह आने वाली पीढ़ियों को हरियाली और प्रकृति संरक्षण का संदेश देगा।
ग्रामवासियों का कहना है कि—
“कन्या उद्यान गाँव का गौरव बनेगा। यहाँ लगाया गया हर पौधा हमें जीवन की नश्वरता और प्रकृति की अमरता का अहसास कराएगा।”
पर्यावरण संरक्षण की मिसाल
आज जब दुनिया प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों का सामना कर रही है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों से आई यह पहल बहुत मायने रखती है। छोटे स्तर पर शुरू किया गया यह प्रयास पूरे समाज को यह सिखाता है कि दुख को सकारात्मक सोच में बदलकर पर्यावरण और समाज के लिए बड़ा योगदान दिया जा सकता है।
सामाजिक संदेश
यह पहल समाज को यह संदेश देती है कि दुख को भी सकारात्मक कार्य में बदला जा सकता है।
पेड़ लगाने से न केवल पर्यावरण सुरक्षित होता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी हरियाली की सौगात मिलती है।
‘कन्या उद्यान’ जैसे प्रयास गाँवों को हरित और संतुलित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ग्रामवासियों की प्रतिक्रिया
ग्रामवासियों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह उद्यान आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति से जुड़ने और पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा देगा। साथ ही यह गाँव में कन्या उत्थान और महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक बनेगा।
धिरोड़ा ग्राम पंचायत में ‘कन्या उद्यान’ की स्थापना केवल एक परिवार की पहल नहीं, बल्कि पूरे गाँव के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह उद्यान आने वाली पीढ़ियों को न केवल हरियाली देगा बल्कि यह संदेश भी देगा कि—
“दुख को भी प्रेरणा में बदलकर समाज और पर्यावरण के लिए योगदान दिया जा सकता है।”