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    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया मऊगंज के बहुती जल प्रपात का अवलोकन

    भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को मऊगंज जिले के प्रवास पर नई गड़ी जनपद पंचायत के बहुती जल प्रपात का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने वाटरफॉल के नजदीक जाकर व्यू प्वाइंट से जलप्रपात की गिरती हुई दूधिया जल धारा और वहा बनने वाले इंद्रधनुष की आभा को देखा।

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बहुती जल प्रपात के समीप कार्यक्रम स्थल पर गौपूजन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव से जंगल में विचरण करने वाली गौमाताओं को अपनी एक आवाज में अपने पास बुलाने की कला रखने वाले रकरी गांव के गौसेवक सौखीलाल यादव ने भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री का प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आश्रम की दीदीओं द्वारा सम्मान कर उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किए।

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव का बहुती में हुआ पारंपरिक स्वागत

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव का बहुती पहुंचने पर पारंपरिक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मऊगंज की लोक कला की छात्राओं ने बघेली शैली नृत्य और स्थानीय लोक कलाकारों के दल ने अहिरहाई लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर स्वागत किया।

    इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, पशुपालन डेयरी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं जिले के प्रभारी मंत्री लखन पटेल, विधायक सर्वगिरीश गौतम, दिव्यराज सिंह और प्रदीप पटेल सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, कमिश्नर रीवा बी.एस. जामोद, आई.जी. गौरव राजपूत, कलेक्टर संजय जैन एवं पुलिस अधीक्षक प्रजापति सहित नागरिक मौजूद थे।

    पर्यटक स्थल के रूप में किया जा रहा है विकसित

    कलेक्टर मऊगंज संजय जैन ने बताया कि बहुती जल प्रपात को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने एवं जन सुविधाओं के विकास के लिए 10 करोड़ रुपए लागत की कार्ययोजना प्रस्तावित की गई है। कलेक्टर ने बातया कि बहुती प्रपात के अप स्ट्रीम में स्टॉप डैम का निर्माण प्रस्तावित है। स्टॉप डैम में जल का संचय होने से वाटर फॉल की जल धारा का बारह माह सदा अविरल प्रवाह बना रहेगा।

    प्रदेश का सबसे ऊँचा बहुती जल प्रपात

    बहुती जल प्रपात रीवा से 75 किलोमीटर दूर मऊगंज जिले में स्थित है। यह विन्ध्य क्षेत्र ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। बहुती में सेलर नदी 650 फिट की ऊंचाई से दो धाराओं में विभक्त होकर गिरती है। नीचे सुंदर कुंड और चारों ओर घने वन हैं। बहुती में अनंत जलराशि लंबवत चट्टानों पर गिरती है। जुलाई से सितम्बर माह तक इस प्रपात का सौंदर्य अपने चरम पर होता है। प्रपात के समीप ही अष्टभुजा देवी का प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित है। प्रयागराज और बनारस से सड़क मार्ग से सीधे जुड़ा होने से उत्तरप्रदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ पहुंचते हैं। इसके पास भैंसहाई में प्रागैतिहासिक काल के भित्ति चित्र मिले हैं।

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